निवारक निरोध Preventive Detention
इसका अभिप्राय किसी व्यक्ति को किसी अभियोग के लिए दण्ड देना नहीं, बल्कि उसे अपराध करने से रोकना है। संक्षेप में यह एक सचेत करने का उपकरण है। यह शासन के हाथ एक ऐसा यंत्र है, जिससे अपराध की आशंका मात्र पर ही व्यक्ति को अदालती जांच के बिना बंदी अथवा नजरबंद रखा जा सकता है। संविधान के अनुसार, इस प्रकार की निवारक निरोध की व्यवस्था सामान्य एवं संकटकाल दोनों में ही की जा सकती है। अतः संविधान में दो प्रकार के निरोध हैं प्रथम, अपराध के पहले जो निवारक निरोध कहलाता है एवं द्वितीय, अपराध के बाद जिसे दंडात्मक निरोध कहा जाता है।