RNA के प्रकारों तथा टेलोमेयर टू टेलोमेयर ह्यूमन जीनोम परियोजना
राइबोन्यूक्लिक अम्ल आर एन ए (RNA) यह एक अनुवांशिक पदार्थ है, जो कोशिका में पाया जाता है। यह डीएनए अथवा जीन के निर्देशानुसार प्रोटीन संश्लेषण में मदद करता है। इसकी संरचना एकल कुण्डलित (सिंगल हेलिक्स)या धागेनुमा होती है। इसके अंदर नाइट्रोजनी क्षार एडीनीन, ग्वानीन, साइटोसिन और यूरेसिल पाये जाते है।
आरएनए अपने कार्यों के आधार पर 3 प्रकार के होते हैं:-
मैसेंजर आरएनए (m- RNA):- इसका कार्य जीन द्वारा उत्पन्न संदेशों को t-RNA और r-RNA तक ले जाना है।
ट्रांसफर आरएनए (t-RNA):- इसका कार्य अमीनो अम्लों को एकत्रित कर m-RNA तक पहुंचाना होता है।
राइबोसोमल आरएनए (r- RNA):- इसका कार्य अमीनो अम्लों की मदद से प्रोटीन का संश्लेषण करना होता है।
प्रोटीन संश्लेषण:- प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया में 2 चरण शामिल होते हैं।
ट्रांसक्रिप्शन:- इस प्रक्रिया में जीन अथवा डीएनए एम-आरएनए का निर्माण तथा उसको निर्देशित करता है। यह प्रोटीन संश्लेषण की प्रक्रिया का आरंभिक चरण कहलाता है।
ट्रांसलेशन:- इस प्रक्रिया में आर-आरएनए, टी- आरएनए की मदद से तथा एम-आरएनए के निर्देशानुसार प्रोटीन का संश्लेषण करता है।
टेलोमेयर टू टेलोमेयर ह्यूमन जीनोम परियोजना:- यह जीनोम परियोजना अंतर्राष्ट्रीय वैज्ञानिकों के सहयोग से पूर्ण की गई है। इस परियोजना की सहायता से मनुष्य के शत-प्रतिशत जीनोमों का अध्ययन किया गया है। यह मनुष्य के अंदर पाये जाने वाले सभी जीनों को व्यवस्थित रूप से समझने में मदद करता है।
इस परियोजना में उन विशेष 8% जीनोमों के बारे में समझने का प्रयास किया गया है, जिसके बारे में मानव जीनोम परियोजना (1990-2003) द्वारा अध्ययन नहीं किया जा सका था। नई तकनीकों तथा सुपर कम्प्यूटर की मदद से मनुष्य के शत प्रतिशत जीनोमों का अध्ययन संभव हो पाया है। इस अध्ययन के बाद मनुष्य के अंदर पायी जाने वाली विभिन्न अनुवांशिक लक्षणों, आनुवांशिक बीमारियों को समझने में भविष्य में बहुत सहायता मिल सकेगी। जो मानव स्वास्थ्य के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित होगी।