L.T.R.O. और T.L.T.R.O. से आप क्या समझते हैं? एवं आरबीआई द्वारा इसका उपयोग
एलटीआरओ, ऐसा मौद्रिक नीति उपकरण है जिसके जरिए आरबीआई औद्योगिक क्षेत्रों को वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से तरलता प्रदान करती है। यह औद्योगिक क्षेत्रों में विभेद नहीं करती है। इसके अंतर्गत वाणिज्यिक बैंक सरकारी प्रतिभूतियों को गिरवी रखकर आरबीआई से 1 से 3 वर्ष की अवधि के लिए रेपो दर पर ऋण प्राप्त करते हैं।
टी.एल.टी.आर.ओ के तहत आरबीआई पूर्व निर्धारित औद्योगिक क्षेत्रों को वाणिज्यिक बैंकों के माध्यम से तरलता सुनिश्चित करती है। इसके अंतर्गत वाणिज्यिक बैंकों को जो ऋण मुहैया कराया जाता है उसका उपयोग वह नए निवेश योग्य प्रतिभूतियों की खरीद, वाणिज्यिक पत्रों की खरीद आदि के लिए कर सकते हैं।
टी.एल.टी.आर.ओ के अंतर्गत प्राप्त ऋण को 45 दिनों के भीतर पूर्व निर्धारित क्षेत्रक में देना होता है अन्यथा वाणिज्यिक बैंक पर आरबीआई रेपो दर से 2% अधिक की पेनल्टी लगाती है।
आरबीआई ने इन उपकरणों का प्रयोग निम्नलिखित कारणों से किया है:-
अर्थव्यवस्था में स्लोडाउन को देखते हुए आरबीआई ने अर्थव्यवस्था को बूस्ट करने का प्रयास किया इसीलिए एलटीआरओ तथा एलटीआरओ के माध्यम से उद्योगों तक सस्ते मुद्रा का प्रबंध किया।
नीतिगत दरों में कटौती किए बिना एल. टी. आर. ओ और टी.एल.टी. आर. ओ के माध्यम से आरबीआई का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थाओं तक सस्ता धन पहुंचाना है। केंद्रीय बैंक के इन प्रयासों से कॉरपोरेट बॉन्ड्स में निवेश बढ़ेगा, तथा आर्थिक संवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
बाजार स्थितियों से इतर केंद्रीय बैंक का यह प्रयास वाणिज्यिक बैंकों के लिए हमेशा वहनीय कीमत पर तरलता उपलब्धता की गारंटी है। यह बैंकों को उद्योग क्षेत्र में निरंतर धन प्रवाह बनाए रखने के लिए प्रेरित करेगा। टी.एल.टी.आर.ओ विशेष रुप से कमजोर क्षेत्रों में निवेश और विकास को बढ़ाने में सहायक होगा।
आरबीआई ने महामारी काल में अर्थव्यवस्था में आई तकनीकी मंदी से निकलने के लिए इन उपकरणों का उपयोग किया है। इनकी प्रासंगिकता आने वाले समय में भी बनी रहेगी, क्योंकि इनका प्रयोग करके आरबीआई मुद्रा प्रवाह की दिशा तय कर सकता है।