छठां संविधान संशोधन, 1965 और जम्मू एवं कश्मीर
आरंभ में जम्मू एवं कश्मीर के राज्य पर संघ सरकार का सीमित नियंत्रण था, परंतु क्रमिक रुप में संघ सरकार के द्वारा राज्य के अनेक विषयों पर नियंत्रण कर लिया गया, क्योंकि वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध तथा वर्ष 1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध कारण भारत के लिए सुरक्षा की परिस्थितियां प्रतिकूल हो गई थीं। वर्ष 1965 में जम्मू राज्य के संविधान में संशोधन करते हुए कई परिवर्तन किए गए, जो निम्नलिखित हैं-
वर्ष-1965 में ‘वजीर-ए-आजम’ (प्रधानमंत्री) का नाम परिवर्तित कर मुख्यमंत्री कर दिया गया।
वर्ष-1965 तक जम्मू एवं कश्मीर पर भारतीय संसद का सीमित अधिकार क्षेत्र था, परंतु छठवें संविधान संशोधन, 1965 द्वारा संघ सूची पर संसद का अधिकार क्षेत्र स्थापित हो गया, परंतु समवर्ती सूची राज्य के अधीन बनी रही। राज्य में अनुच्छेद-356 और 357 को लागू किया जा सकता है, परंतु वित्तीय आपातकाल लागू नहीं किया जा सकता।
छठवें संविधान संशोधन के अनुसार, अब मौलिक अधिकारों को जम्मू एवं कश्मीर में पूर्ण प्रभावी बनाया गया। जम्मू एवं कश्मीर राज्य पर उच्चतम न्यायालय की विशेष अधिकारिता स्वीकृत है और चुनाव आयोग तथा नियंत्रक महालेखा परीक्षक की अधिकारिता भी लागू है।
जम्मू एवं कश्मीर के उच्च न्यायालय को मूल अधिकारों के उल्लंघन मामले में रिट निकालने की शक्ति प्राप्त है तथा अन्य किसी वाद में रिट निकालने की अधिकारिता नहीं है।