चंद्रमा पृथ्वी का उपग्रह
हमारी पृथ्वी के पास केवल एक उपग्रह है, चंद्रमा। इसका व्यास पृथ्वी के व्यास का केवल एक-चौथाई है। यह इतना बड़ा इसलिए प्रतीत होता है, क्योंकि यह हमारे ग्रह से अन्य खगोलीय पिंडों की अपेक्षा नजदीक है। यह हमसे लगभग 3,84,400 किलोमीटर दूर है। अब आप पृथ्वी से सूर्य एवं चंद्रमा की दूरियों की तुलना कर सकते हैं।
रोचक तथ्य नील आर्मस्ट्रांग पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने 29 जुलाई 1969 को सबसे पहले चंद्रमा की सतह पर कदम रखा। मालूम करो कि क्या कोई भारतीय चंद्रमा पर गया है?
चंद्रमा पृथ्वी का एक चक्कर लगभग 27 दिन में पूरा करता है। लगभग इतने ही समय में यह अपने अक्ष पर एक चक्कर भी पूरा करता है। इसके परिणामस्वरूप पृथ्वी से हमें चंद्रमा का केवल एक ही भाग दिखाई पड़ता है। चंद्रमा की परिस्थितियाँ जीवन के लिए अनुकूल नहीं हैं। यहाँ न पानी है और न वायु। इसकी सतह पर पर्वत, मैदान एवं गड्ढे हैं जो चंद्रमा की सतह पर छाया बनाते हैं। पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पर इनकी छाया को देखा जा सकता है।
उपग्रह एक खगोलीय पिंड है, जो ग्रहों के चारों ओर उसी प्रकार चक्कर लगाता है, जिस प्रकार ग्रह सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। मानवनिर्मित उपग्रह एक कृत्रिम पिंड है। यह वैज्ञानिकों के द्वारा बनाया गया है, जिसका उपयोग ब्रह्मांड के बारे में जानकारी प्राप्त करने एवं पृथ्वी पर संचार माध्यम के लिए किया जाता है। इसे रॉकेट के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाता है एवं पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कर दिया जाता है। अंतरिक्ष में उपस्थित कुछ भारतीय उपग्रह इनसेट, आई.आर.एस., एडूसैट इत्यादि हैं।