हरियाली से आप क्या समझते हैं? एवं इसका वर्णन कीजिये
हरियाली :- हरियाली एक निश्चित स्थान होता है जो कि पूर्णरूपेण घासे से ढका होता है। इसमें घास हरे गलिचे के समान लगती है। विलयम रोविनसन के अनुसार हरियाली उद्यान का हृदय होती है एवं यह उसकी सबसे सुखद वस्तु होती है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि हरियाली उद्यान का आवश्यक अंग होती है। जिससे भूमि का आधार गर्व तथा आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है यह राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक होती है।
स्थान तथा भूमि:- हमें नया लॉन लगाने के लिए लॉन की स्थिति सावधानी पूर्वक निश्चित करनी चाहिए। लॉन के ऐसे स्थान पर होना चाहिए जहाँ पर उद्यान के लिए अधिकांश भाग दिखाई दे तथा उद्यान की अन्य आकृतियाँ लॉन के संयोग से अधिक प्रभावी लगे। लॉन की स्थिति मकान की खिड़कियों तथा दरवाजे के सामने उपयुक्त रहती है।
भूमि की तैयारी:- लॉन के लिए भूमि की तैयारी ग्रीष्म काल में हमें करना चाहिए। पहले 2 से 3 फीट की गहराई तक मिट्टी खोदकर खुला छोड़ देना चाहिए। जिससे सूर्य के प्रकाश से भूमि का जीवाणुनाशन हो सके।
भूमि का संपीडन:- भूमि को गहराई तक तैयार करने से मिट्टी पोपली हो जाती हैं। जिसे संपीडन करने की आवश्यकता रहती है क्योंकि ऐसा न करने से लॉन लगाने के बाद मिट्टी किन्हीं स्थानों पर बैठ जाती है। जिससे लॉन असमान हो जाते हैं। संपीडन करने के लिए हमें भूमि को लगभग एक फीट मोटी मेढ़ों द्वारा किन्हीं स्थानों पर क्यारियों में बाँट लेते हैं। फिर इसमें 10-15 मी. गहरा पानी भर देते हैं। भूमि को समतल करना- लॉन की भूमि समतल होनी चाहिए। लॉन की भूमि के साथ घास लगाने से पूर्व समतल करना चाहिए। जल के लिए सावधानी पूर्वक व्यवस्था करनी चाहिए। भूमि की समतल बनाने के लिए हम निम्न विधियों का प्रयोग कर सकते हैं।