सूचना का अधिकार
अभिव्यक्ति की आजादी को व्यापकता प्रदान करते हुए इंडियन एक्सप्रेस वाद में न्यायालय ने यह कहा कि नागरिकों को यह अधिकार है कि वह सरकार तथा सरकारी कार्यवाही से संबंधित तथ्यों की जानकारी प्राप्त करें। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण लक्षण है, परंतु सूचना के अधिकार को सुरक्षा एवं लोकहित इत्यादि बंधनों के अधीन किया जा सकता है। लोकतांत्रिक मांगों को देखते हुए सरकार ने वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार विधेयक को पास किया तथा लोगों को सूचना मुहैया कराया जाना अनिवार्य किया गया। इस हेतु एक केंद्रीय सूचना आयोग का गठन किया गया तथा प्रत्येक विभाग में सूचना अधिकारी की नियुक्ति की गई। न्यायालय ने निर्धारित किया है कि प्रत्येक मतदाता को अपने उम्मीदवारों की संपत्ति, आपराधिक मामलों तथा अन्य जानकारी प्राप्त करने का अधिकार हैं।