सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल क्या है? एवं इनके लाभ
सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के बीच एक दीर्घकालिक संबंध है, जिसमें वांछित परिणाम देने के लिए बहु-क्षेत्र कौशल, विशेषज्ञता और वित्त के जोखिमों और पुरस्कारों को साझा करना शामिल है।
पीपीपी परियोजना की आवश्यकता और फंडिंग गैप दोनों को पूरा करने में मदद कर सकते हैं। पीपीपी परियोजनाओं में अक्सर निजी क्षेत्र की व्यवस्था और वित्तपोषण शामिल होता है।
यह सार्वजनिक क्षेत्र को अपने स्वयं के राजस्व या उधार के माध्यम से वित्तपोषण की जरूरतों को पूरा करने की आवश्यकता से राहत देता है।
पीपीपी वित्तीय उत्तरदायित्व को सार्वजनिक क्षेत्र से दूर स्थानांतरित करके अधिक अवसंरचना निवेश और अवसंरचना सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाते हैं।
पीपीपी मॉडल के तहत किये गए काम की गुणवत्ता सरकारी काम के मुकाबले अच्छी होती है और साथ ही काम अपने निर्धारित योजना के अनुसार होता है।
पीपीपी मॉडल अपनाने से परियोजनाएँ सही लागत पर और ज्यादातर सही समय से पूरी हो जाती हैं। इस प्रकार पीपीपी भारतीय अवसंरचना निर्माण क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है। जिससे भारत की अर्थव्यवस्था के पिछड़े हुए क्षेत्र में विकास तेज किया जा सकता है, और भारत के आर्थिक असंतुलन तथा क्षेत्रीय पिछड़ेपन को समाप्त किया जा सकता है।