सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) क्या है? इसके महत्व को स्पष्ट कीजिए
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) किसी देश द्वारा किसी विशेष समय के लिए उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य का मानक माप है। इसे एक निश्चित समय में एक राष्ट्र के भीतर उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के बाजार मूल्य के रूप में भी देखा जा सकता है।
यह किसी देश की आर्थिक सेहत का पैमाना होता है। अर्थशास्त्री जीडीपी का विश्लेषण यह पता लगाने के लिए करते , अवसाद या उछाल के क्रम में है या नहीं। यह किसी के कुल उत्पादन स्तर को सामने रखता है। जिससे उस देश की आर्थिक स्थिति का पता चलता है।
इसे अधिकांश सरकारों और विभिन्न नीतियों की योजना बनाने और तैयार करने के लिए और आर्थिक निर्णयकर्ताओं के लिए एक संकेतक के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। जीडीपी निवेशकों को अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में मार्गदर्शन देकर उनके पोर्टफोलियो का प्रबंधन करने में मदद करता है। राजकोषीय और मौद्रिक नीतियों को तैयार करते समय, नीति निर्माता ब्याज दरों, व्यापार नीतियों और कर संबंधी निर्णयों पर विचार करते समय सकल घरेलू उत्पाद पर ध्यान देते हैं।
इन सब महत्व के बाद भी सकल घरेलू उत्पाद से कुछ समस्याएं भी हैं, उदाहरणस्वरूप इसमें पर्यावरणीय लागतों की गणना नहीं की जाती है। साथ ही साथ इसमें अवैतनिक सेवाओं को शामिल नहीं किया जाता है एवं यह देश में काले धन के आंकड़ों को ध्यान में नहीं रखता है, जो किसी भी अर्थव्यवस्था को नकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं। जीडीपी यह नहीं मापता है कि समाजिक परिस्थितियां उत्पादन को कैसे प्रभावित करती हैं। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि, सकल घरेलू उत्पाद किसी अर्थव्यवस्था की संपूर्ण मापन के बाद भी अपूर्ण मापन करता है।