संसद में संकल्प
सदन में प्रस्तुत मूल प्रस्ताव अथवा स्वतंत्र आत्मनिर्भर प्रस्ताव संकल्प कहलाते हैं। संकल्प तीन प्रकार के होते हैं
- निजी सदस्यों के संकल्प के द्वारा कोई भी गैर-सरकारी सदस्य, जो मंत्रिमंडल का भाग नहीं है, सदन के समक्ष कोई कारी सदस्य, जो विधेयक अथवा संकल्प प्रस्तुत कर सकता है।
- संसदीय शासन में ज्यादातर संकल्प मंत्रियों के द्वारा प्रस्तुत किए जाते हैं। इसीलिए इन्हें ‘सरकारी संकल्प’ कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय संधियों अथवा समझौतों को सरकार संकल्प के रूप में प्रस्तुत करती है। अतः संकल्प के द्वारा सदन के मत प्रस्तुत किए जाते हैं तथा विधि का निर्माण भी किया जाता है।
- संसदीय शासन में विधि-निर्माण का प्रमुख स्थान है। विधि-निर्माण संबंधित संकल्प को ‘सांविधिक संकल्प’ कहा जाता है, जिसके द्वारा विभिन्न विधेयकों के निर्माण अथवा संविधान संशोधन का संकल्प प्रस्तुत किया जाता है।