संसद की भूमिका
संसद, वाद-विवाद का सर्वोच्च मंच है और लोक सभा जनता की इच्छाओं को प्रकट करती है। संसद का एक अन्य महत्वपूर्ण कार्य कार्यपालिका या कैबिनेट या मंत्रिपरिषद् की आलोचना के द्वारा उसे उत्तरदाई बनाए रखना है। संसद के द्वारा कार्यपालिका या कैबिनेट की निरंकुश शक्तियों पर प्रतिबंध भी आरोपित किए जाते हैं। कार्यपालिका द्वारा निर्मित नीतियों एवं निर्णयों पर सदन में चर्चा होती है तथा नीतियों की विसंगतियों को भी उजागर किया जाता है। संसद, सूचना का सबसे बड़ा अंग भी है और सदन के सदस्य विभिन्न प्रश्नों के द्वारा मंत्रियों से सूचना मांग या सूचना प्राप्त कर सकते हैं तथा सदन को यह अधिकार है कि कार्यपालिका उसे आवश्यक सूचना प्रदान करे। विधायिका का अन्य महत्वपूर्ण कार्य विधि का निर्माण करना है और भारत सदृश कल्याणकारी राज्य में विधायिका का कार्य सामाजिक न्याय को प्रभावी रूप में स्थापित करना एवं अनेक विकास योजनाओं का निर्माण भी विधायिका के द्वारा किया जाता है। संसद के द्वारा कार्यपालिका पर सबसे प्रभावी नियंत्रण वित्तीय नियंत्रण के माध्यम से स्थापित किया जाता है। इसलिए सरकार को किसी नए करारोपण, अनुदान एवं व्यय के लिए संसद द्वारा अनुमति प्राप्त करनी होती है। संसद या विधायिका के द्वारा संविधान का संशोधन भी किया जाता है। भारतीय संविधान में संशोधन के लिए किसी अन्य संस्था का प्रावधान नहीं है, बल्कि यह संसद का उत्तरदायित्व है।