संघनन क्या हैं? ओस एवं तुषार के बनने की प्रक्रिया
वायुमंडलीय आर्द्रता का आर्द्रताकारी नाभियों पर एकत्रित होकर जल सीकर या हिम कणों के रूप में रूपांतरण की प्रक्रिया ही संघनन कहलाती है। यह जलीय चक्र की एक विशेष अवस्था है। संघनन के विभिन्न प्रकार ओस, तुषार, कोहरा, कुहासा, बादल इत्यादि हैं।
ओस:- वातावरण में फैले हुए जल वाष्प जब किसी ठोस वस्तु जैसे फूल-पत्ती या पत्थर पर एकत्रित हो कर जलबूँदों के रूप में परिवर्तित हो जातें है तो उसे ओस कहतें हैं।
तुषार:- यह ठंडी सतहों पर बनता है। जब संघनन तापमान के जमाव बिंदु से नीचे चला जाता है तब अतिरिक्त नमी पानी की बूंदों की वजह छोटे-छोटे बर्फ के रूप में जमा हो जाती है। तो उसे तुषार कहा जाता है।
कोहरा एवं कुहासा:- जब बहुत अधिक जलवाष्प से भरी हुई वायु अचानक निचे गिरती है तब वह छोटे-छोटे धूल कणों पर एकत्रित हो जाती है। जिसे कोहरा एवं कुहासा कहतें हैं। यह सतह के बहुत नजदीक होती है जिससे काम से शून्य तक हो जाती है।
बादल:- ऊपरी वायुमंडल में रुद्घोष्म शीतलन की प्रक्रिया के प्रभाव से संघनित असंख्य जल बूंदों एवं हिम कणों के समूह को बादल कहा जाता है।
ओस एवं तुसार के बनने की प्रक्रिया :-
ओस बनने के लिए सबसे उपयुक्त दशाएं साफ आसमान, शांत हवा, उच्च सापेक्षिक आर्द्रता तथा ठंडी एवं लंबी रातें हैं। ओस बनने के लिए आवश्यक है कि ओसांक जमाव बिंदु से ऊपर होना। तुषार ठंडी सतहों पर बनता है। यह संघनन तापमान के जमाव बिंदु से नीचे चले जाने पर होता हैं। उजले तुषार के बनने की सबसे उपयुक्त दशाएं ओस के बनने की दशाओं के समान है, केवल हवा का तापमान जमाव बिंदु पर या उसे नीचे होना चाहिए। संघनन जलीय चक्र की एक विशेष अवस्था है। जिसकी वजह से वाष्पीकरण द्वारा वयमंडल में एकत्रित आर्द्रता वापस धरती को प्राप्त होतें हैं जिससे जलीय चक्र पूर्ण हो पता है।