शंघाई सहयोग संगठन क्या है? क्या यह “अमेरिका विरोधी” समूह है?
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) चीन, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान और उजबेकिस्तान द्वारा 2001 में गठित एक राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा गठबंधन है। संगठन का उद्देश्य आतंकवाद, आर्थिक विकास और सांस्कृतिक आदान-प्रदान जैसे मुद्दों पर सहयोग के माध्यम से क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा देना है। भारत और पाकिस्तान 2017 में पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुए।
SCO को आमतोर पर “अमेरिका विरोधी” समूह की संज्ञा दी जाती है, इसके पीछे कई कारण है जैसे इस संगठन का निर्माण रूस और चीन जैसे देशों के नेतृत्व में किया गया जो की हमेशा से अमेरिका का विरोधी रहा है, इसीलिए इसे नाटो का प्रतिउत्तर माना जाता है। इसके अलावा इसमें शामिल देश भी अधिकांशत: वही हैं जो अमेरिकी नीति के विरोधी रहे हैं। साथ ही SCO का हाल ही में सम्पन्न हुआ समरकंद सम्मेलन 2022 जिसमे रुसी सुरक्षा सचिव का बयान की “SCO अमेरिका विरोधी केंद्र बिंदु है” इसे “अमेरिका विरोधी” समूह की संज्ञा देता है।
परन्तु एससीओ को “अमेरिका विरोधी” समूह कहना पूरी तरह से सही नहीं है। किसी विशिष्ट देश या देशों के समूह के विरोध के बजाय संगठन का प्राथमिक ध्यान क्षेत्रीय सहयोग और सुरक्षा पर है। इसमें शामिल भारत और मध्य एशियाई देश SCO को अमेरिका विरोधी नहीं बनने दे सकते, वही यदि रूस और चीन की बात की जाये तो अमेरिका की नीतियों का विरोध उनका आपसी मुद्दा है न की पूरे संगठन का। वर्तमान में दुनिया के देशो के बीच हितो को लेकर विरोधाभास है, सभी देश अपनी सामरिक स्वायत्तता को बनाये रखना चाहते हैं, इस समय विश्व बहुध्रुवीय व्यवस्था के रूप में है न कि द्विध्रुवीय व्यवस्था के रूप में इसीलिए इसे केवल इस बात पर “अमेरिका विरोधी” समूह कहना उचित नहीं होगा की इसमें रूस और पूर्व सोवियत संघ के सदस्य शामिल है।
एससीओ ने संयुक्त राज्य अमेरिका और नाटो सहित अन्य देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ सहकारी संबंध भी विकसित किए हैं और वैश्विक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में संवाद और सहयोग के महत्व पर जोर दिया है। एससीओ हमेशा सभी देशों के साथ अपने संबंधों में संतुलन बनाए रखने की कोशिश करता रहा है और हमेशा बातचीत और सहयोग के माध्यम से संघर्षों को सुलझाने की कोशिश करता रहा है। एक बहुपक्षीय संगठन के रूप में, एससीओ विभिन्न क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर सहयोग और समन्वय पर केंद्रित है, न कि किसी विशिष्ट देश पर। इसलिए, एससीओ को एक अमेरिकी विरोधी समूह के बजाय अपने सदस्य राज्यों के बीच स्थिरता, सहयोग और क्षेत्रीय सुरक्षा को बढ़ावा देने पर केंद्रित एक क्षेत्रीय संगठन के रूप में वर्णन करना अधिक तर्कसंगत होगा।