रॉबर्ट नॉजिक द्वारा रॉल्स के विचारधारा की आलोचना किस आधार पर की जाती है?
जॉन रॉल्स हार्वर्ड विश्वविद्यालय में राजनीतिक दर्शनशास्त्र के प्रोफ़ेसर थे, इन्होंने थ्योरी ऑफ जस्टिस नामक किताब लिखी। जॉन रॉल्स के अनुसार नैतिकता उचित है और उचित की प्राप्ति निष्पक्षता से होती है अर्थात जो निष्पक्ष है, वही नैतिक है। जॉन रॉल्स के अनुसार किसी खास विचारधारा या चेतना से ग्रसित व्यक्ति सदैव अपने विचारधारा के पक्ष में तर्क प्रस्तुत करता है। अतः निष्पक्ष व्यक्ति ही सही का चुनाव करने हेतु उपयुक्त होता है।
जॉन रॉल्स की आलोचना:-
रॉबर्ट नॉजिक, अमर्त्य सेन एवं स्त्रीवादियों द्वारा जॉन रॉल्स की आलोचना की जाती है। रॉबर्ट नॉजिक के द्वारा लिखित पुस्तक स्टेट एनार्की इन यूटोपिया है, जिसमें दिखाया गया है कि जॉन रॉल्स की पूरी थ्योरी ही गलत है। रॉबर्ट नॉजिक के अनुसार उचित वही है जो उसका हकदार (Entitlement) है। उसके अनुसार प्रत्येक मनुष्य को साध्य मानना चाहिए। सभी मनुष्य एक दूसरे से अलग एवं स्वतंत्र हैं।
रॉबर्ट नॉजिक द्वारा जॉन रॉल्स के द्वितीय नियम संसाधनों के बंटवारे की आलोचना की गई है। नोजिक के अनुसार यदि किसी राज्य में एक व्यक्ति जो अत्यंत कर्मठ एवं प्रगतिशील है। अपने कार्य से प्रतिदिन ₹10000 कमाता है, जबकि द्वितीय व्यक्ति जो आलसी एवं कामचोर है, वह ₹100 ही कमा पाता है। रॉल्स के द्वितीय नियम के अनुसार समाज के निम्न वर्ग को समाज में सामान खड़ा करने हेतु उसे अतिरिक्त सुविधाएं राज्य द्वारा दी जानी चाहिए। ऐसी स्थिति में ₹10000 कमाने वाले कर्मठ व्यक्ति से कुछ पैसे लेकर आलसी व्यक्ति को दिया जाना चाहिए। नोजिक इस तथ्य का खंडन करता है, उसके अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को उसकी हकदारी के अनुसार ही कार्य करने दिया जाना चाहिए। यदि किसी कर्मठ व्यक्ति से पैसे लेकर किसी आलसी व्यक्ति को दिया जाएगा तो कर्मठ व्यक्ति निराश होगा ही और आलसी व्यक्ति भी अब पूर्व की अपेक्षा कम कार्य करने हेतु प्रेरित होगा।
इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि जॉन रॉल्स के सिद्धांत में अवश्य ही कुछ कमियां थी, जिसकी पहचान नॉजिक द्वारा की गई। वर्तमान वैश्विक बाजारीकरण प्रणाली काफी हद तक नॉजिक के सिद्धांत पर ही आधारित हैं।