राष्ट्रीय एकता परिषद् क्या हैं ?
राष्ट्रीय एकता परिषद् का विचार वर्ष-1961 में प्रधानमंत्री नेहरु के द्वारा प्रस्तुत किया गया और वर्ष-1962 में इसकी पहली बैठक हुई। इसका मूल उद्देश्य देश को विभाजित करने वाली विशिष्ट सांप्रदायिक, जाति, क्षेत्रवाद और भाषाई समस्याओं के समाधान की खोज करना है। राष्ट्रीय एकता परिषद् कार्यपालिका के द्वारा स्थापित एक संस्था है, जिसका अनेकों बार पुनर्गठन किया गया है और इसका वर्ष 2013 में पुनः पुनर्गठन किया गया तथा नई दिल्ली में इसकी 15वीं बैठक आयोजित की गई। इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री तथा 14 कैबिनेट मंत्री इसके सदस्य होते हैं। इसके अतिरिक्त सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासकों को शामिल किया गया है।
इसमें राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के वरिष्ठ नेता सम्मिलित हैं तथा मानवाधिकार, अल्पसंख्यक, महिला और अनुसूचित जाति एवं जनजाति आयोग के अध्यक्षों को सम्मिलित किया गया है। मीडिया से जुड़े व्यक्ति, व्यावसायिक घरानों के प्रतिनिधि, श्रमिकों के प्रतिनिधि तथा महिलाओं के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है एवं इसके अतिरिक्त देश के गणमान्य व्यक्ति भी इसमें शामिल हैं। इसकी स्थापना वर्ष-1986 में किया गया था। यह भी मूलतः संविधान में वर्णित संस्था नहीं है तथा यह एक सरकारी मशीनरी नहीं है, क्योंकि इसमें समाज के किसी भी बुद्धिजीवी को शामिल किया जा सकता है।