राष्ट्रपति का विशेषाधिकार या वीटो की शक्ति
संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक अधिनियम तब तक नहीं बन सकता जब तक कि उसे राष्ट्रपति की स्वीकृति नहीं मिल जाती । जब दोनों सदनों से पारित किये जाने के पश्चात कोई विधेयक राष्ट्रपति के समक्ष स्वीकृति के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो वह निम्नलिखित तीन बातों में से कोई एक कर सकता है।
वह यह घोषित कर सकता है कि वह विधेयक को अनुमति देता है, वह यह घोषित कर सकता है कि वह विधेयक अनुमति देने से इंकार करता है, यदि वह धन विधेयक नही है तो तो पुनर्विचार के लिए पुन: संसद में भेज सकता है। धन विधेयक को पुनर्विचार के लिए नहीं लौटाया जा सकता। जहां कार्यपालिका और विधानमंडल एक-दूसरे से पृथक और स्वाधीन हैं, वहां कार्यपालिका विधायन के लिए उत्तरदायी नहीं होती है। ऐसी स्थिति में यह उचित होगा कि उसे अवांछनीय विधायन रोकने के लिए कुछ नियंत्रण का अधिकार हो।