राजकोषीय नीति का अर्थ क्या है? और इनके विशेषताओं के बारे में बताईए?
राजकोषीय नीति का सीधा सम्बन्ध राजकोष अथवा राजस्व से है जो सार्वजनिक आय-व्यय तथा ऋण से सम्बन्धित है। राजकोषीय नीति के द्वारा आर्थिक स्थिरता सुनिश्चित किया जाता है।
भारतीय राजकोषीय नीति की प्रमुख विशेषताएँ:-
आर्थिक विषमताओं को कम करना ।
सार्वजनिक क्रय शक्ति में वृद्धि करना।
बचत में वृद्धि के उपाय करना।
विनियोग में वृद्धि के उपाय करना।
आर्थिक विकास के लिए आवश्यक वित्तीय साधन जुटाना।
उपभोग को नियन्त्रित करना, जिससे आर्थिक साधन उपभोग से हटाकर विकास में लगाये जा सकें।
आन्तरिक तथा विदेशी प्रभावों से कीमत में होने वाले परिवर्तनों को नियन्त्रित करना और क्रय-शक्ति के प्रवाह को नियन्त्रित करना।
राजकोषीय नीति में सुधार के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जाते हैं:-
सरकार को चाहिए कि वह प्रत्यक्ष करों में वृद्धि करे, विलासिता की वस्तुओं पर अधिक कर लगाए ताकि सरकार की आय में वृद्धि हो तथा उसका उपयोग देश के आर्थिक विकास में किया जा सके।
सरकार को अपनी राजकोषीय नीति में इस प्रकार की व्यवस्था करनी चाहिए ताकि सार्वजनिक व्ययों का अधिकांश भाग आर्थिक विकास में लगे।
सरकार को अपनी राजकोषीय नीति में सार्वजनिक ऋण के लिए प्रावधान करने
घाटे की वित्त व्यवस्था भी राजकोषीय नीति में सुधार का एक तरीका है।