मौलिक अधिकारों की विशेषता
मौलिक अधिकार, व्यक्ति के व्यक्तित्व के विकास के लिए मूल माने जाते हैं, जिनके अभाव में व्यक्ति अपनी क्षमताओं एवं विशेषताओं का पूर्ण विकास नहीं कर सकता है।
मूल अधिकार राज्य के विरूद्ध उपलब्ध होते हैं और औराज्य भारतीय भू-भाग पर शक्ति प्रयोग की सर्वोच्च संस्था है। मूल अधिकार राज्य की तुलना में व्यक्ति को प्राथमिक बना देते हैं।
मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के पश्चात् किसी भी व्यक्ति को सीधे उच्चतम न्यायालय में प्रवेश कर अपने अधिकारों को संरक्षित करने की शक्ति प्रदान की गई है। अतः मौलिक अधिकार का प्रावधान लोकतांत्रिक शासन की सर्वाधिक महत्वपूर्ण पहचान है, क्योंकि नागरिकों के द्वारा अधिकारों के संरक्षण के लिए राज्य का निर्माण किया गया है। अतः मूल अधिकार साध्य है तथा सरकार इसे संरक्षित करने का एक साधन है।