November 14, 2024
मुहरें, सिन्धु घाटी सभ्यता में

मुहरें, सिन्धु घाटी सभ्यता में

Spread the love

मुहरें, सिन्धु घाटी सभ्यता में

सिन्धु घाटी क्षेत्र के काफी मात्रा में मुहरें प्राप्त हुई हैं, सिन्धु घाटी के अध्ययन में मुहरों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। यहाँ से कई राज्यों व अन्य देशों की मुहरें प्राप्त हुई हैं। इन मुहरों से सिन्धु घाटी सभ्यता के विदेशी व्यापार और अन्य क्षेत्रों के साथ संबंधों के बारे में पता चलता है। सिन्धु घाटी से विभिन्न प्रकार की मुहरें प्राप्त हुई हैं, यह मुहरें बेलनाकार, वर्गाकार, आयताकार, और वृत्ताकार रूप में प्राप्त हुई हैं। यहाँ पर सिन्धु घाटी की मुहरों के अलावा उन क्षेत्रों की मुहरों भी मिली हैं जिनसे सिन्धु घाटी सभ्यता के लोग व्यापार करते थे। यहाँ पर मेसोपोटामिया और दिलमुन की मुहरें भी प्राप्त हुई हैं। यह मुहरें स्टेटाइट, फ्यांस, गोमेद, चर्ट और मिट्टी की बनी हुई हैं।

सिन्धु घाटी सभ्यता से प्राप्त अधिकतर मुहरों पर अभिलेख, एक सींग वाला बैल, भैंस, बाघ, गैंडा, हिरण, बकरी व हाथ के चित्र अंकित हैं। इनमे सर्वाधिक आकृतियाँ एक सींग वाले बैल की हैं। मोहनजोदड़ो, लोथल और कालीबंगा से राजमुन्द्रक प्राप्त हुए हैं, प्राप्त मुहरें में से सर्वाधिक मुहरें चौकोर हैं। सबसे ज्यादा मुहरें मोहनजोदड़ो से प्राप्त हुई हैं, इन मुहरों पर शेर, ऊँट और घोड़े का चित्रण नहीं हैं। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक मुहर पशुपति शिव की आकृति बनी हुई है। मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक अन्य मुहर पर पीपल की दो शाखाओं के बीच निर्वस्त्र स्त्री का चित्र अंकित है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *