महिला संगठनों में पुरुषों की सदस्यता बढ़ाने की आवश्यकता बताइए
समाज में महिलाओं के प्रति भेदभाव रोकने तथा उनके सशक्तिकरण के लिये अनेक सरकारी तथा गैर-सरकारी प्रयास किये जा रहे हैं। जिनमें महिला संगठनों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। किन्तु इन महिला संगठनों में पुरुषों की संख्या केवल नाममात्र की होती है।
महिला संगठन समाज में पुरुष और महिला करने के सामान अधिकार को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है। अतः इस स्थिति में किसी संगठन में केवल महिला सदस्यों का होना भी एक प्रकार का लिंग भेद है। अतः ऐसे संघर्ष को खत्म करने के लिए महिला संगठनों में पुरुष की संख्या को बढ़ावा देना चाहिए। ऐसा कहा जाता है की एक महिला के मुकाबले एक पुरुष दूसरे पुरुष की मानसिकता को बेहतर समझ सकता है,जैसे एक महिला दूसरे महिला की मानसिकता हो बेहतर समझ सकती है। पुरुष सदस्य महिलाओं से जुड़े विभिन्न मुद्दों को समाज के अन्य सदस्यों के समक्ष बेहतर ढंग से प्रदर्शित कर सकता है। कई बार पुरुषों के प्रति भी महिलाओं द्वारा गलत प्रवृत्ति अपनाई जाती है। जैसे- दहेज उत्पीड़न, शोषण, घरेलू हिंसा आदि का झूठा आरोप। इन मामलों में महिला संगठन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
अतः पुरुषों की संख्या को बढ़ाकर हम समाज में हो रहे अत्याचार को बिना किसी भेदभाव के दूर कर सकेंगे एवं समाज में तार्किक रूप से एक संतुलित माहौल बना रहेगा।