महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाणों का वर्णन कीजिए
कार्बोनिफेरस युग में समस्त स्थल भाग एक स्थलखंड के रूप में संलग्न थे जिसे पैंजिया कहा गया। पैंजिया प्लेट विवर्तनिक क्रिया के फलस्वरूप दो भागों उत्तरी और दक्षिणी में बंट गया। उत्तरी भाग लॉरेशिया और जबकि दक्षिणी भाग गोंडवानालैंड कहलाया,ये भी बाद में अन्य महाद्वीपों में बंट गए। इसे ही महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत या प्लेट विवर्तनिक क्रिया कहा जाता है। जिसका प्रतिपादन जर्मन जलवायु विज्ञानी अल्फ्रेड वेगनर द्वारा 1915 में अपनी पुस्तक “ओरिजिन ऑफ कॉन्टिनेंट्स एंड ओसियन” में किया गया था।
महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के पक्ष में दिए गए प्रमाण
आरा फिट (Jigsaw Fit):- अटलांटिक महासागर के दोनों तटों में अवस्थित महाद्वीपों को यदि आपस में संयुक्त किया जाए तो यह अद्भुत रूप से एक दूसरे से मिलकर पुनः पैंजिया का निर्माण करते दिखाई देंगे।
भूगार्भिक साक्ष्य:- गुयाना उच्च भूमि एवं गिनी तट के चट्टानों की समानता और न्यू इंग्लैंड रेंज से लेकर स्कैंडिनेविया श्रेणी तक की समानता साबित करती है कि यह खंड कभी आपस में संयुक्त रहे होंगे।
जीवाश्म प्रमाण:- गोंडवाना लैंड के सभी हिस्सों में एक ही कालखंड की ग्लोसोप्टेरिस फ़र्न, मेसोसॉरस मासुपियल्स जंतु के जीवाश्म का पाया जाना इनके एक होने का प्रमाण प्रस्तुत करता है।
जलवायविक प्रमाण:- विषुवतीय प्रदेश में हिमानी निक्षेपों का पाया जाना तथा यूरोप में कार्बोनिफरस कालखंड के कोयले का पाया जाना यह सिद्ध करता है कि कभी विषुवतीय प्रदेश शीत कटिबंध में रहा होगा तथा यूरोप उष्ण कटिबंध में रहा होगा। महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत के द्वारा अनेक भौगोलिक और भूवैज्ञानिक समस्याओं को सुलझाने में मदद मिली है एवं इसने कई महत्वपूर्ण सिद्धांतों के आधार निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।