मध्य भारत के पठार की विशेषतायें
मध्य भारत का पठार अधिकांशतः मध्यप्रदेश में अवस्थित है, जिसमें बघेलखंड, बुंदेलखंड, अमरकंटक एवं मालवा का पठार शामिल है, इस पठारी भू-भाग में अनेक नदियों का उद्गम स्थल है। इसकी विशेषताओं को निम्न प्रकार समझा जा सकता है।
मध्य भारत के पठार की जलवायु महाद्वीपीय प्रकार की है। मध्य भारत का पठार में जलोढ़ एवं काली मिट्टी पाई जाने के कारण यहाँ गेहूँ, ज्वार, बाजरा की फसल उगाई जाती है। शीशम, सागौन, नीम, पीपल, खैर आदि यहाँ के वनों में पाये जाने वाले प्रमुख वृक्ष हैं। मध्य भारत के पठार में जनसंख्या का घनत्व 110 से 272 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है।
यहाँ मालवा से चम्बल, अमरकंटक से सोन आदि नदियों का उद्गम होता है। मालवा भौगोलिक प्रदेश में झीलों की नगरी भोपाल, मिनी मुंबई इंदौर, महलों की नगरी मांडू, स्तूपों का नगर साँची, आदमकालीन गुफाएं भीमबेटका एवं महाकाल नगरी उज्जैनी आदि अवस्थित हैं। मालवा के उत्तरी जिलों में नीमच एवं मंदसौर अफीम की कृषि जबकि खंडवा एवं बुरहानपुर कपास की कृषि के लिए जाने जाते हैं।
बघेलखंड पठार पर अल्ट्रा मेगा पॉवर प्रोजेक्ट की इकाई अवस्थित है, जिसे मध्यप्रदेश का ऊर्जा गृह भी कहते हैं। इस प्रकार कहा जा सकता है, कि मध्य भारत का पठार अनेक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण तथा विशेषतागत वैविध्य रखता है।