मध्य पाषाण काल
यह काल पुरापाषाण काल और नव पाषाण काल के मध्य एक संक्रमण काल था । वस्तुतः यह काल नव पाषाण काल का अग्रगामी था। इस काल का मानव अब पशुपालन करना भी प्रारम्भ कर दिया। इस समय जलवायु गर्म हो गई, अब बर्फ की जगह घास से भरे मैदान उगने प्रारम्भ हो गए । मध्य प्रदेश में आदमगढ़ और राजस्थान में बागौर पशुपालन का प्राचीनतम साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं जिसका समय 5000 ई.पू. था।
मध्य पाषाण कालीन सबसे प्राचीन ज्ञात स्थल सराय नाहर राय, महदहा (प्रतापगढ़) है। इस समय पत्थर के उपकरणों में तीर का जो नोक बनाया गया वह इस युग का विशिष्ट उपकरण है जिन्हें सूक्ष्म पाषाण उपकरण (माइक्रोलिथ) कहा गया। इस काल के अन्य उपकरणों में इकधार फलक, बेधक बेधनी, चाकू, तक्ष्णी एवं अर्धचन्द्राकार प्रमुख है। इसी काल में सर्वप्रथम मानव कंकाल प्राप्त होते हैं ।