भारत में जाती व्यवस्था में सामाजिक क्षेत्र में निरंतरता
लखनऊ में रिक्शा चालकों के अध्ययन में पाया कि वे भिन्न-भिन्न जातियों के थे। रिक्शाचालक काम के समय जाति सम्बन्धी निषेधों की परवाह किए बिना एक-दूसरे के साथ अंतःक्रिया (Interation) करते थे। तथापि, शाम को जब ये रिक्शाचालक घर जाते थे तो जाति सम्बन्धी सभी धार्मिक रीतियों का पालन करते थे। उनके रिश्तेदार उन्हीं की जाति के थे तथा वे अपनी ही जातियों में विवाह करते थे। जाति व्यवस्था की खान-पान सम्बन्धी व वैवाहिक नियम संबंधी दो प्रमुख विशेषताओं में से खान-पान सम्बन्धी विशेषता तो लुप्त हो चुकी है, सभी परन्तु परिवर्तनों के बाद भी अपनी ही जाति में विवाह के नियम अभी भी बने हुए हैं।