भारतीय संविधान में प्रस्तावना
भारतीय संविधान की प्रस्तावना अमेरिकी संविधान से प्रभावित है। यह भारतीय संविधान की मूल कुंजी है, जिसमें संविधान के मूलभूत आदर्शों एवं उद्देश्यों का वर्णन है। प्रस्तावना में वर्णित ये आदर्श संविधान सभा द्वारा 22 जनवरी, 1947 को उद्देश्य प्रस्ताव के रूप में स्वीकार किए गए थे, जिससे भारत में सामाजिक, आर्थिक एवं राजनैतिक न्याय स्थापित करने का संकल्प लिया गया था। प्रस्तावना में संविधान का मूल दर्शन अंतर्निहित है। यह भारतीय संविधान की जन्म कुण्डली है। कॉर्ल फ्रेड्रिक के अनुसार, ‘प्रस्तावना के द्वारा वह जनमत प्रकट होता है, जिससे संविधान अपनी शक्ति प्राप्त करता है।’ पं. नेहरू के अनुसार, ‘प्रस्तावना में दो महान क्रांतियों के आदर्शों, फ्रांसीसी क्रांति का दर्शन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता एवं भ्रातृत्व का वर्णन है तथा रूसी क्रांति के सामाजिक एवं आर्थिक न्याय के आदर्शों को भी इसमें सम्मिलित किया गया है।