ब्रह्मांडीय पिंडों और ग्रहों का परिचय एवं बुध ग्रह की पमुख विशेषताएं
ब्रह्माण्ड में अनेक आकाशीय पिंड उपस्थित हैं, इन आकाशीय पिंडों को संरचना तथा विशेषताओं के आधार पर, आकाशगंगाओं, तारों, ग्रहों तथा धूल कणों में वर्गीकृत किया गया है।
अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा 2006 में दी गई परिभाषा के अनुसार वह आकाशीय पिंड जो:-
अपने समीपस्थ तारे अर्थात सूर्य की परिक्रमा करते हुए, सूर्य से ही ऊर्जा तथा प्रकाश की प्राप्ति करते हैं, साथ ही उन ग्रहों का परिक्रमण पथ एक-दूसरे से स्वतंत्र होना चाहिए, एवं उन पिंडों का गुरुत्वीय मान इतना हो कि वे अपना एक निश्चित आकार या स्वरुप धारण कर सकते हों, उन्हें ग्रह का दर्जा प्रदान किया जाता है।
उपर्युक्त परिभाषा के अनुसार वर्तमान समय में ग्रहों की श्रेणी में सौरमंडल से 8 ग्रहों को शामिल किया गया है, वर्ष 2006 में अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) द्वारा प्लूटो को ग्रहों की श्रेणी से बाहर कर दिया गया क्योंकि यह अपने समीपी दो ग्रहों अरूण एवं वरुण की कक्षा को प्रतिच्छेदित करता है अब यह एक बौने ग्रह के रूप में उपस्थित है।
यह सूर्य के समीप होने के कारण सूर्य की परिक्रमा भी सबसे तेजी से करता है। बुध ग्रह सूर्य के सबसे समीप स्थित और सबसे छोटा ग्रह है, इस ग्रह की प्रमुख विशेषताओं को निम्न प्रकार समझा जा सकता है। इस ग्रह का कोई सघन वायुमंडल नहीं है, इसीलिए इस ग्रह पर सम्पूर्ण सौर तंत्र का सर्वाधिक दैनिक तापान्तर पाया जाता है। बुध का अपना कोई उपग्रह नहीं है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है, कि ग्रह तारों के आस-पास चक्कर लगाने वाले खगोलीय पिंड है, और हमारा सौर तंत्र भी ग्रह और तारों का एक परिवार स्वरुप है, जिसमें 8 ग्रह, एक तारा, क्षुद्र ग्रह, उल्काएं तथा धूल कणों से युक्त पिंड शामिल हैं।