‘प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का महत्त्व एवं आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का प्रतिपादन महाद्वीपीय विस्थापन सिद्धांत, संवहन धारा सिद्धांत तथा सागर नितल प्रसरण सिद्धांत को आधार बनाकर किया गया। इस अवधारणा के अनुसार हमारा स्थलमंडल सात बड़े एवं कुछ छोटे प्लेटों में बाँटा हुआ है जो की दुर्बलता मंडल पर तैर रहे हैं। जिससे स्थलमंडल में परिवर्तन होता रहता है।
विश्व व्यवस्था के दो बड़े राष्ट्र भारत व चीन सीमा विवाद के कारण आपस में उलझे हुए हैं। हालिया विवाद का केंद्र अक्साई चिन में स्थित गलवान घाटी (Galwan Valley) है, जिसको लेकर दोनों देशों की सेनाएँ आमने-सामने आ गईं हैं।
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत की आलोचना:-
प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत ने प्लेटों की कुल संख्याओं एवं सीमाओं के साथ-साथ इनके प्रवाह की दिशा को पूर्णतः स्पष्ट नहीं किया जा सका है। इस सिद्धांत के अनुसार कुछ प्लेटें एक साथ एक से अधिक दिशा में संचरित हो रही हैं। किन्तु ऐसा कैसे संभव है? यदि ये दो दिशाओं में संचरित हो रहीं हैं तो क्या इनकी सीमाएं पूर्णत: अभिव्यक्त होती हैं? जैसे- अफ्रीकी प्लेट
इस सिद्धांत के द्वारा प्लेट सीमाओं पर पाई जाने वाली वलित पर्वत श्रेणियों की उत्पत्ति एवं विकास तथा घटित होने वाले भूकंप एवं ज्वालामुखी क्रियाओं के कारण तो स्पष्ट हो जातें हैं, परंतु इनके आंतरिक भागों में पाई जाने वाली श्रेणियां कैसे निर्मित हुई एवं आंतरिक भाग में पाए जाने वाली भूगर्भिक क्रियाओं के कारणों कि व्याख्या नहीं हो पाती है। जैसे- ज्वालामुखी हॉटस्पॉट, हवाई द्वीप, आइसलैंड द्वीप आदि से मैग्मा का उद्गार क्यों हो रहा है।
उपरोक्त आलोचनाओं के बावजूद प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत महाद्वीप एवं सागरीय द्रोणी के उत्पत्ति के संबंध में प्रस्तुत किया गया भू-गर्भ शास्त्र का सर्वाधिक प्रामाणिक सिद्धांत है। इसकी सहायता से महासागरीय नितल, भूकंप एवं ज्वालामुखियों का वितरण, ट्रेंच पर गुरुत्वाकर्षण विसंगतियाँ आदि भौगोलिक विशेषताओं को भी समझा जा सकता है।