प्रोन्नति में आरक्षण क्या हैं ?
मण्डलवाद में न्यायालय का मानना था कि अनुच्छेद-16(4) के अनुसार, आरक्षण केवल प्रारंभिक नियुक्तियों में प्रदान किया जा सकता है, पदोन्नति में नहीं । न्यायालय का तर्क था कि प्रोन्नति में आरक्षण से प्रशासनिक कार्यकुशलता प्रभावित होगी, जो अनुच्छेद- 335 में निहित कार्यकुशलता तथा दक्षता की भावनाओं के खिलाफ है। अतः न्यायालय के आदेश को समाप्त करने हेतु सरकार द्वारा 77वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1995 पास किया गया तथा अनुच्छेद-16(4) (क) स्थापित किया गया, जिसमें यह व्यवस्था की गई कि अनुसूचित जातियों एवं जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण दिया जाना वैधानिक है।