प्रधानमंत्री का शपथ ग्रहण
संविधान की तीसरी अनुसूची में संघीय मंत्रियों के शपथ और गोपनीयता का प्रावधान है। अतः तीसरी अनुसूची में प्रधानमंत्री के लिए अलग से शपथ का प्रावधान नहीं है, बल्कि मंत्रियों के पद की शपथ और गोपनीयता का प्रावधान प्रधानमंत्री के लिए भी लागू होता है। प्रधानमंत्री के द्वारा संविधान के प्रति पूर्ण आस्था और निष्ठा की शपथ ली जाती है तथा प्रधानमंत्री भारत की संप्रभुता और अखण्डता को बनाए रखने की शपथ लेता है और मंत्री के रूप में अपने कर्त्तव्यों को आस्था और पूर्ण निष्ठा से संपादित करने की शपथ लेता है। प्रधानमंत्री के द्वारा यह भी शपथ लिया जाता है कि वह सभी लोगों के साथ संविधान और विधि के अनुसार उचित व्यवहार करेगा और बिना किसी भय, असद्भावना, लगाव अथवा पक्षपात रहित कार्य करेगा।
इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री के लिए गोपनीयता की शपथ का भी प्रावधान है। प्रधानमंत्री के द्वारा यह कहा जाता है कि उसके समक्ष लायी गयी किसी जानकारी को प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप में किसी को संप्रेषित नहीं किया जाएगा और किसी व्यक्ति अथवा व्यक्ति समूह को इसकी जानकारी नहीं देगा। प्रधानमंत्री के कर्त्तव्यों और कार्यों के संपादन के दौरान यदि आवश्यक हो, तो वह कोई सूचना किसी को संप्रेषित कर सकता है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के ऊपर गोपनीयता को भंग करने का आरोप लगाया गया। आलोचकों ने तो यहां तक कहा कि डॉ. मनमोहन सिंह के द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय की महत्वपूर्ण और गोपनीय सूचनाओं को कांग्रेस की अध्यक्षा सोनिया गांधी को संप्रेषित किया गया, यद्यपि प्रधानमंत्री के द्वारा इसका खण्डन किया गया।