पूर्वी एवं पश्चिमी घाट का तुलनात्मक अध्ययन कीजिए
भारत के पठारी भाग के पूर्व तथा पश्चिम में अवस्थित पर्वत श्रेणियों को प्रमशः पूर्वी घाट एवं पश्चिमी घाट की पर्वत श्रेणियों के नाम से जाना जता है, इन दोनों पर्वत श्रेणियों का संगम नीलगिरी पर्वत ग्रंथि के रूप में जाना जाता है, लेकिन इनमें पर्याप्त अंतर भी विद्यमान है, जैसे:-
पश्चिमी घाट कगार का उदाहरण है, जबकि पूर्वी घाट एक विखंडित वलित पर्वत श्रेणी है। पश्चिमी घाट पश्चिमी तट के समानांतर स्थित हैं जबकि पूर्वी घाट पूर्वी तट के समानांतर स्थित हैं। पश्चिमी घाट एक सतत पर्वत श्रृंखला है जबकि पूर्वी घाट एक अवछिन्न पर्वत श्रृंखला है।
पश्चिमी घाट की ऊंचाई पूर्वी घाट से अधिक है। पश्चिमी घाट की औसत ऊंचाई 900 से 1600 मीटर है जबकि पूर्वी घाट की औसत ऊंचाई 600 मीटर है। पश्चिमी घाट में पर्वतीय वर्षा होती हैं जबकि पूर्वी घाटों में अधिकाँशतः शीतकालीन वर्षा होती है।
पश्चिमी घाट में परिवतन हेतु थाल घाट, भोर घाट और पाल घाट जैसे महत्वपूर्ण दर्रे अवस्थित है जबकि पूर्वी घाट में विखंडित पर्वत श्रेणियों के मध्य से परिवहन किया जाता है। गोदावरी, कृष्णा और कावेरी जैसी अधिकांश प्रायद्वीपीय नदियाँ पश्चिमी घाटों में उत्पन्न हुईं जबकि पूर्वी घाट में नदियों के उद्गम स्थलों का अभाव है।
पश्चिमी घाट गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, केरल और तमिलनाडु में 6 राज्यों में विस्तृत है जबकि पूर्वी घाट 5 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश जैसे ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु में विस्तृत है।
पश्चिमी घाट की सबसे ऊंची चोटी केरल में अनाईमुडी (2695 मीटर) है जबकि पूर्वी घाट की सबसे ऊंची चोटी ओडिशा में महेंद्रगिरि या अरोयाकोंडा (1501 मीटर) है। अतः उपर्युक्त बिन्दुओं के आधार पर स्पष्ट है, कि पश्चिमी घाट एवं पूर्वी घाट अपनी उत्पत्ति तथा विशेषताओं में विविधता रखते हैं।