पारिस्थितिकी विज्ञान क्या है? विस्तृत व्याख्या कीजिए
पारिस्थितिकी विज्ञान, विज्ञान की वह समावेशी शाखा है जिसमें जीव विज्ञान एवं भौतिक पर्यावरण के मध्य उनके अंतर्संबंधों का अध्ययन किया जाता है।
इकोलॉजी शब्द लैटिन शब्द ओइकोस एवं लोगोस से बना है। जहां ओइकोस (Oikos) का अर्थ है जीवों का वास क्षेत्र या निवास क्षेत्र जबकि लोगोस (Logos) का अर्थ है अध्ययन करना अर्थात जीवों के पर्यावास क्षेत्रों का किया गया अध्ययन ही पारिस्थितिकी है। जिसमें पर्यावरण के कारकों का जीवों पर प्रभाव एवं जीवों के क्रियाकलापों का उसके पर्यावास पर प्रभाव की विवेचना की जाती है। इस शब्द की रचना का श्रेय जर्मन प्राणी वैज्ञानिक रिटर को दिया जाता है। परंतु शब्द की विवेचना एर्नस्ट हैकेल महोदय ने की थी। अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट ने जीवों के भौतिक एवं जैविक पर्यावरण की सटीक व्याख्या करते हुए पारिस्थितिकी विज्ञान को सैद्धांतिक आधार प्रदान किया। इसलिए फादर ऑफ इकोलॉजी अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट ही है। जबकि भारत में पारिस्थितिकी विज्ञान का पितामह प्रोफेसर रामदेव मिश्रा को माना जाता है।
पारिस्थितिकी विज्ञान की शाखाएं:- पारिस्थितिक विज्ञान को जीवों की संज्ञा, जीव जातियों के प्रकार एवं उनके विभिन्न जैविक क्रियाकलापों के आधार पर दो शाखाओं में विभाजित किया जाता है।
स्वपारिस्थितिकी (Autecology):- यदि किसी पर्यावास क्षेत्र में पाए जाने वाली एकल जीव जाति का अध्ययन, उसकी संख्या, वितरण, क्रियात्मक या पारितंत्र में भूमिका के आधार पर किया जाता है, तो इसे स्वपारिस्थितिकी कहते हैं। जैसे – मानसून वन क्षेत्र में बाघ का अध्ययन किया जाना या हाथी का अध्ययन किया जाना इत्यादि।
संपारिस्थितिकी (Synecology):- जब अध्ययन का विषय वस्तु कोई एक जीव जाति नहीं बल्कि संपूर्ण समुदाय या संपूर्ण पारिस्थितिक तंत्र हो तो उसे संपारिस्थितिकी कहा जाता है। जैसे किसी वन क्षेत्र में पाई जाने वाली संपूर्ण वनस्पतियों तथा जीव जंतुओं का अध्ययन।
संक्षेप में, पारिस्थितिकी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जीवित जीवों और उनके पर्यावरण के बीच की जटिल अंतः क्रियाओं को समझने में हमारी मदद करती है, और स्थायी पर्यावरण प्रबंधन और संरक्षण के लिए आधार प्रदान करती है।