धान (Paddy)
वानस्पतिक नाम: ओराइजा सटाइवा (Oryza Sativa)
- धान एक स्व-प्रगित (Self-Polinated) फसल हैं
- ‘चबल’ भारत की एक मुख्य खाद्य फसल हैं
- धान का दाना कैरियोप्सिस (Caryopsis) प्रकार का है
- विश्व में क्षेत्रफल तथा उत्पादन की दृष्टी से गेंहू के बाद धान का द्वितीय स्थान हैं
- विश्व में क्षेत्रफल की दृष्टी से एशिया महाद्वीप (Asia Continent) का धान में प्रथम स्थान हैं
- डी० कैंडोल (1886) के मतानुसार धान का उत्पति स्थान दक्षिण भारत माना जाता हैं
- वेविलोव (1926) के मतानुसार धान का उत्पति स्थान भारत तथा वर्मा हैं
- धान की उत्पादन की दृष्टी से भारत में पश्चिम बंगाल राज्य अग्रणी हैं
- धान की उत्पादकता की दृष्टी से पंजाब अग्रणी राज्य हैं
- धान को कश्मीरी भाषा में शाली (Shali) कहा जाता हैं
- धान की फसल में ‘एजोला’ (Azolla) प्रयोग करने की दो विधियाँ हैं
- प्रथम, धान की रोपाई से पूर्व एजोला को खेत में हरी खाद के रूप में भूमि में मिलना
- द्वितीय, दोनों की फसले (Dual Cropping) एक साथ अथार्त धान की खड़ी फसल में एजोला उगाना
- धान की रोपाई के 10-15 दिन पहले भूमि में 10 टन एजोला/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करण लाभदायक पाया गया हैं
- रोपित धान के खड़ी फसल में लगभग एक सप्ताह बाद 2-3 टन एजोला/हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए
- सर्वप्रथम एजोंला पानी भरी जगह में नर्सरी में तैयार करते हैं इसकी अच्छी उपज के लिए नर्सरी में सड़ी हुयी गोबर की खाद, सुपर फोस्फेट तथा फ्यूराडान मिलाते हैं
- 5-15 टन तजा एजोला प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करने से धान की उपज में 13-33% तक वृद्धि की जा सकती है
- फोस्फोरस घोलक जीवाणु (Phosphate Solubilizing Bacteria) के प्रयोग से (बिना फोस्फोरस के) धान में 10-20%, गेहूं में 7-42%, आलू में 30-50% तथा चने में 10-30% की वृद्धि देखी गई हैं
- धान के जिन खेतो में खड़ा पानी भरा रहता हैं वहाँ नील-हरित शैवाल का उपयोग अच्छा रहता हैं
- उतर प्रदेश के बस्ती जिले में धान की सर्वाधिक क्षेत्रफल में खेती की जाती है
- जलमगन क्षेत्र में धान के बिज को कैल्शियम परऑक्साइड रसायन से उपचारित करके बोना चाहिए| ऐसा करने से अंकुरण के समय बिज को ऑक्सीजन मिलती रहती हैं
- धान की कुटाई करने पर चावल व छिल्के का अनुपात 2:1 मिलती हैं
- बेधक बीटिल (Borer Beetle) व चावल के माँथ (Rice Moth) धान के मुख्य भण्डारण किट हैं
- चावल (Milled Rice) me 6-7% प्रतिशत प्रोटीन पायी जाती हैं
- ठंडे मौसम में धान की फसल में कल्लों (Tillers) की वृद्धि धीमी हो जाती हिं जबकि सूखे मौसम में कल्ले अधिक निकलते हैं
- ‘खैरा रोग’ का प्रकोप विशलेषण तराई क्षेत्रों में अधिक दिखाई पड़ता हैं क्योंकि इस भूमि में जस्ता की कमी पायी जाती हैं
- ऊँची भूमियों (Uplands) के धान की फसल में 2-5% यूरिया के घोल का प्रयोग करना लाभदायक पाया गया हैं
- ऊसर (क्षारीय) भूमि में 40-50 दिन की पौध की रोपाई करना चाहिए