तोरिया एवं सरसों की फसल की वर्गीकरण कीजिए
तोरिया एवं सरसों भारत की तिलहन वर्ग की प्रमुख फसले हैं। यहाँ पर इनकी खेती रबी के मौसम में की जाती है। इनकी अधिक उपज प्राप्त करने के लिए उपयुक्त बीज का चुनाव एवं उन्नत सस्य क्रियाओं को अपनाना आवश्यक है। तोरिया एवं सरसों की फसल का आर्थिक महत्त्व, भौगोलिक वातावरण, वानस्पतिक वर्णन कीजिए.
1. भूमि का चुनाव:- तोरिया एवं सरसों की खेती के लिए दोमट एवं हल्की दोमट मृदाएँ सबसे अच्छी होती है। भूमि में जल निकास की उत्तम व्यवस्था होना आवश्यक है। भूमि का PH मान सामान्य होनी चाहिए।
2. भूमि की तैयारी:- खरीफ की फसलें जैसे मक्का ज्वार बाजरा धान या कपास आदि की कटाई के पश्चात् क गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से व 2-3 जुताईयाँ करते हैं तथा हैरो चलाते हैं।
3. उपयुक्त जाति का चुनाव:-तोरिया व सरसों की खेती के लिए क्षेत्र की जलवायु एवं भूमि सम्बन्धी आवश्यकताओं बीज उपलब्धता के अनुसार Type-9, PT-30, PT-303, Yellow Repseed- Type-30, Type- 151, and Ysk- 1 Brown RepseedVSH- 1 Poosa Kalyani, Brown MustrudBSH-1 Poosa Kalyani-1 and BS-70, Yellow Mustrud-VS-2 Type-42 K-88 Poosa gola. वरदान, वैभव शेखर Varoona, Type सौरभ, पूसा, गोण्ड, प्रकाश, व कृष्णा आदि।
4. बुवाई का समय:- तोरिया की बुवाई का समय 1 सितम्बर से 15 सितम्बर तक होता है। सरसो के लिए 1 से 10 अक्टूबर तक का समय बुवाई के लिए उपयुक्त रहता है।
5. बीज दर:- तोरिया की फसल के लिए एक है। खेत में 4 किग्रा बीज की मात्रा पर्याप्त रहती है तथा सरसों के लिए कुछ अधिक मात्रा बीज का प्रयोग क पड़ता है। 5 किग्रा / है की दर से बीज प्रयोग करना होता है।
6. बीजोपचार:- तोरिया व सरसो के बीजों को उपचारित रोगों के बचाने के लिए 2.5 ग्राम थायराम प्रति किग्रा. बीज दर से उपचारित करना चाहिए।
7. फसल चक्र:-
तोरिया एवं सरसों की फसल चक्र | |
मक्का तोरिया गेहूँ मूँग | एकवर्षीय |
धान – सरसों – मक्का | एकवर्षीय |
ज्वार- तोरिया- गेहूँ -मूँग | एकवर्षीय |
बाजरा – तोरिया – गेहूँ – मूँग | एकवर्षीय |
मक्का – सरसो – गन्ना – पेड़ी | तीनवर्षीय |
मक्का – सरसो – उड़द | एकवर्षीय |