November 14, 2024
तम्बाकू का वानस्पतिक नाम, वर्गीकरण, कुल, By Era Of Infology

तम्बाकू का वानस्पतिक नाम, वर्गीकरण, कुल,

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तम्बाकू (Tobacco)

वानस्पतिक नाम: निकोटियाना स्पेशीज (Nicotiana Species)

  • तम्बाकू एक मत्वपूर्ण नकदी फसल (Cash Crop) हैं जो अपनी पत्तियों के लिए उगायी जाती जिसका प्रयोग संसाधित उत्पाद (Cured Product) के रूप में किया जाता हैं |
  • तम्बाकू का प्रयोग मुख्यतः सिगरेट, बीड़ी, सिगार चुरुट, हुक्का, खाने तथा सूँघने वाली तम्बाकू के रूप में किया जाता हैं |
  • तम्बाकू निर्यात की जाने वाली फसलों में एक प्रमुख फसल हैं | भारत में निर्यात की जाने वाली फसलों में तम्बाकू का 10वाँ स्थान हैं |
  • तम्बाकू की कुल उपज का लगभग 25% भाग निर्यात किया जाता हैं |
  • जर्मनी, रूस व जापान प्रमुख तम्बाकू निर्यातक देश हैं |
  • विश्व में सिगरेट उत्पादन में भारत का 10वाँ स्थान हैं |
  • तम्बाकू का मुख्य रासायनिक तत्व निकोटीन (Nicotine) होता हैं जो एक प्रकार का क्षार हैं और पत्तियों में वानस्पतिक अम्ल के साथ मिश्रित रहता हैं |
  • निकोटीन से औधोगिक महत्व का निकोटीन सल्फेट (Nicotine Sulphate) नामक पदार्थ तैयार किया जाता हैं जिसका प्रयोग कीटनाशक (Insecticide) के रूप में किया जाता हैं |
  • निकोटियाना तेबेकम प्रकार की तम्बाकू में 0.5 से 5.5% तक निकोटीन पायी जाती हैं |
  • नेकोटियाना रस्टिका जाती की तम्बाकू में 1.5-3.0% नाइट्रोजन, 0.25-4.5% फोस्फोरस, 1.2-2.5% पोटाश तथा 4.0% कैल्शियम पाया जाता हैं
  • तम्बाकू का प्रयोग खाद एवं शोभाकारी (Ornamental) पौधों के रूप में भी किया जाता हैं |
  • तम्बाकू के बीजों में निकोटीन रहित 35-38% तक तेल पाया जाता हैं |
  • इसकी खली में 3% नाइट्रोजन, 30-35% अपरिष्कृत प्रोटीन तथा 20-27% तक कार्बोहाइड्रेट पाया जाता हैं |
  • तम्बाकू का उत्पति स्थान अमेरिका माना जाता हैं |
  • सन 1560 में पुर्तगाल में फ़्रांस के राजदूत जिननिकोट ने लिसबन में तम्बाकू के बारे में अध्ययन किया था और फ़्रांस के सम्राट को इसका पौधा भेंट किया | इसी राजदूत के नाम पर ही तम्बाकू व निकोटीन का नाम निकोटियाना रखा गया |
  • भारत में पुर्तगालियों द्वारा 17वीं सदी में तम्बाकू का आगमन हुआ |
  • विश्व में तम्बाकू की खेती 4606 हजार हेक्टेयर क्षेत्रफल पर की जाती हैं जिससे प्रतिवर्ष लगभग 7085 हजार तन पत्ता उत्पादित होता हैं |
  • भारत में कुल तम्बाकू क्षेत्रफल का लगभग 96% भाग आन्ध्र प्रदेश, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश तथा बिहार में हैं |
  • कुल तम्बाकू क्षेत्रफल का रस्टिका जाति के अन्तर्गत लगभग 11% व टेबेकम जाति के अन्तर्गत 89% भाग हैं |
  • भारत में तम्बाकू क्षेत्रफल की दृष्टी से गुजरात का प्रथम स्थान और कर्नाटक का द्वितीय स्थान हैं |
  • तम्बाकू उत्पादकता में उत्तर प्रदेश का प्रथम स्थान हैं |
  • गुजरात में तम्बाकू के अन्तर्गत सबसे अधिक सिंचित क्षेत्रफल हैं |
  • उतर प्रदेश में तम्बाकू दो मौसमों, रबी और जायद में उगाई जाती हैं |
  • भारत के कुल उत्पादन का 95% वर्जिनिया (सिगरेट व नाटू) तम्बाकू गुन्टूर क्षेत्र, जिसमें आन्ध्र प्रदेश के गुन्टूर कृष्णा, पूर्वी व पश्चिमी गोदावरी जिले आते हैं, में उगाई जाती हैं |
  • बीड़ी तम्बाकू की खेती मुख्यतः चिरोतर क्षेत्र (गुजरात का कैरा जिला) तथा निपानी क्षेत्र (कर्नाटक का बेलगाँव जिला व महाराष्ट्र के सितारा, कोल्हापुर व सांगली आदि जिले) में की जाती हैं |
  • हुक्का व खाने वाली तम्बाकू की खेती उत्तर प्रदेश व पंजाब क्षेत्र (उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद, सीतापुर,मैनपुरी, बदायूँ, मुरादाबाद तथा पंजाब के जालंधर व फिरोजपुर जिले) में मुख्य रूप से की जाती हैं |
  • दक्षिणी तमिलनाडु क्षेत्र के अन्तर्गत कोयम्बटूर के अन्तर्गत कोयम्बटूर व मदुराई जिले आते हैं जिसमें खाने वाली तम्बाकू, सिगार व सिगार पर लपेटने वाली तम्बाकू की खेती की जाती हैं |
  • उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक तम्बाकू फरुखाबाद जिले में उगाई जाती हैं प्रदेश के कुल तम्बाकू उत्पादन का 36% भाग इसी जिले में उगाई जाती हैं |
  • तम्बाकू के पौधे पर असीमाक्ष (Raceme) प्रकार का पुष्पक्रम पाया जाता हैं | इसकी फल संपुट (Capsule) प्रकार का होता हैं |
  • तम्बाकू के फूलों में अधिकाँश त: स्व:निषेचन (Self-Fertilization) होता हैं लेकिन कीटों द्वारा 4-10% तक पर:निषेचन (Cross Fertilization) भी होता हैं |
  • तम्बाकू का बीज बहुत छोटा होता हैं | एक फल में लगभग 8000 तक बीज पाए जाते हैं |
  • बीड़ी तम्बाकू की पत्तियां पर भूरी चित्तियों का होना उत्तम गुण माना जाता हैं इस गुण का विकास हल्की दोमट मिट्टी में सर्वाधिक होता हैं |
  • तम्बाकू की 18-20% शर्करा वाली जातियाँ उत्तम मानी जाती हैं |
  • तम्बाकू के फसल में नाइट्रोजन का प्रयोग करने से पत्तियों में निकोटीन की मात्रा में वृद्धि होती हैं | अतः सिगरेट तम्बाकू में नाइट्रोजन की मात्रा कम प्रयोग करना चाहिए |
  • तम्बाकू के बीज का भण्डारण शुष्क अवस्था में करने पर 10-15 वर्ष तक अंकुरण क्षमता बनी रहती हैं |
  • मृदा में नमी की मात्रा बढ़ने पर तम्बाकू के पौधों मने नाइट्रोजन तथा निकोटीन की मात्रा कम हो जाती हैं |
  • निकोटियाना टेबेकम किस्म के पौधे लम्बे (1.5-2.5 मी) होते हैं जबकि नि० रस्टिका किस्म के पौधे अपेक्षाकृत छोटे (0.9-1.2 मी) होते हैं |
  • निकोटियाना टेबेकम किस्म के पौधों की पत्तियों लम्बे संकरी तथा डंठल रहित या सहित जबकि निकोटियाना रस्टिका की पत्तियाँ छोटी, गोलाकार सिकुड़ी हुई सी तथा डंठल सहित होती हैं |
  • निकोटियाना तेबेकम प्रकार की तम्बाकू में फूलों का रंग गुलाबी होता हैं जबकि निकोटियाना रस्टिका के पुलों का रंग प्राय: पीला होता हैं |
  • निकोतियाना टेबेकम किस्म की तम्बाकू का प्रयोग सिगरेट, सिगार, हुक्का, बीडी, चुरुट, च्विंग तथा सूंघने में होता हैं |
  • निकोटियाना रस्टिका किस्म की तम्बाकू का प्रयोग केवल हुक्का, च्विंग और सूंघने में होता हैं |
  • तबाकू के पत्तियों का आकार, आयाम, गठन और पत्तियों के गुणवत्ता में सुधार अथवा श्रेष्ठता लेन के लिए तम्बाकू के पौधों का शीर्षकर्तन (Topping) कर देना चाहिए |
  • तम्बाकू के पौधे के सबसे ऊपर वाली कलिका या पुष्पक्रम और इसके साथ 2-3 छोटी पत्तियों को तोड़ने की क्रिया को शीर्षकर्तन (Topping) कर देना कहा जाता हैं |
  • पुष्पक्रम के साथ 2-3 ऊपरी पत्तियाँ तोड़ने को निचला शीर्षकर्तन (Topping Low) कहा जाता हैं |
  • पौधों के केवल पुष्पक्रम तोड़ने को चोटी पर शीर्षकर्तन (Topping High)कहा जाता हैं |
  • सिगरेट किस्म के पौधों में 8-9 पत्तियाँ, सिगार व चुरुट वाली किस्म के पौधों में 12-14 पत्तियाँ, हुक्का व खैनी तम्बाकू के पौधों में 14-15 पत्तियाँ तथा बीडी तम्बाकू में 10-12 पत्तियाँ प्रति पौधा छोड़कर शीर्षकर्तन करना चाहिए |
  • शीर्षकर्तन के 8-10 दिन बाद पौधों में शाखाए निकलने लगती हैं इनको भूस्तारी (Suckers) कहते हैं | अतः इन भूस्तारी को तोड़ने की प्रक्रियां को डिसकरिंग (Desuckering) कहा जाता हैं |
  • डिसकरिंग की क्रिया न अपनायी जाने पर शीर्षकर्तन निष्प्रभावी हो जाता हैं |
  • पत्तियों के अक्ष पर N.A.A. अथवा ट्राई इथरनॉलेमिन (Triethernolemin) अथवा 2% मौलिक हाइड्राजाइड अथवा 2% इन्डोल ब्यूटीयरिक अम्ल का प्रयोग करने से भूस्तारी निकलन बंद कर देते हैं |
  • शीर्षकर्तन के तुरन्त बाद 20-25 सेंटी मीटर सुई से तने को छेदते हैं | इस क्रिया को छेदना (Piercing) कहते हैं | इस क्रिया से रचाई गई पत्तियों को उपज में वृद्धि होती हैं |
  • रेपर तम्बाकू के उत्पादन में शीर्षकर्तन तथा डिसकरिंग की क्रिया नहीं करनी चाहिए |
  • केन्द्रीय तम्बाकू शोध संस्थान (CTRI) की स्थापना 1947 में राजमुन्दरी (आन्ध्र प्रदेश) में हुई थी |
  • निकोटिन की उत्पादन प्रमुख रूप से पौधों की जड़ो में होता हैं, जहाँ से ताने द्वारा यह पत्ती में पहुंचकर इकट्टा होता हैं |
  • बीडी तम्बाकू शोध केन्द्र (Bidi Tobacco Research Satation), आनन्द (गुजरात) में स्थित हैं |
  • भारत में कुल तम्बाकू क्षेत्रफल का 30% तथा उत्पादन का 20% फ्ल्यूक्योरड वर्जिनिया (सिगरेट) के अन्तर्गत हैं जबकि 70% क्षेत्रफल नान-वर्जिनिया टाइप (नाटू, हुक्का, बीडी, बर्ले, चुरुट, च्विंग, सिगार तथा सनफ तम्बाकू) की तम्बाकू के अन्तर्गत आता हैं |
  • फसल की कटाई के समय पत्तियों में 80% तक नमी पायी जाती हैं | रचाई के पश्चातइन पत्तियों में 10-12% तक नमी रहती है |
  • तम्बाकू में कार्वोहाइड्रेटस की मात्रा तम्बाकू के प्रकार पर निर्भर करती हैं | शुष्क पदार्थ के आधार पर कार्बोहाइद्रेट्स की मात्रा 25-50% तक होती हैं |
  • कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा सिगरेट तम्बाकू में सबसे अधिक्र पायी जाती हैं |
  • रचाई की क्रिया में स्टार्च का जल-विशलेषण (Hydrolysis) होता हैं जिस कारन तम्बाकू में स्टार्च की मात्रा घटती हैं |
  • परीक्षनों से ज्ञात हुआ हैं की रचाई की क्रिया में सुक्रोज की मात्रा में वृद्धि होती हैं |
  • तम्बाकू में पाई जाने वाले प्रमुख नाइट्रोजन युक्त पदार्थ प्रोटीन, निकोटीन, अमोनिया, नाइट्राईट, अमीनो अम्ल तथा एमाएड्स हैं | इसमें निकोटीन सबसे महत्वपूर्ण पदार्थ हैं |
  • शुष्क पदार्थ के आधार पर विभिन्न प्रकार की तम्बाकू में नाइट्रोजन युक्त पदार्थ 3-4% तक पाये जाते हैं |
  • रचाई की क्रिया के फालस्वरूप तम्बाकू में नाइट्रोजन युक्त पदार्थ की मात्रा में लगभग 60% तक की कमी आ जाती हैं | रची हुई तम्बाकू में निकोटीन की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती हैं |
  • तम्बाकू में मौलिक अम्ल (8-10%), साईट्रिक अम्ल (0.5-2.0%) तथा ओक्जेलिक अम्ल (1.0-2.5%) नामक कार्बनिक पदार्थ भी पाये जाते हैं |
  • तम्बाकू में मौलिक और साइट्रिक अम्ल कैल्शियम, मैगनिशियम और पोटेशियम लवणों के रूप मने पाये जाते हैं |
  • तम्बाकू में ओक्जेलिक अम्ल प्रमुख रूप से कैल्शियम लवन के रूप में पाया जाता हैं |
  • रचाई की क्रिया के कारण तम्बाकू में साइट्रिक अम्ल की मात्रा में वृद्धि होती हैं तथा अन्य अम्लों की मात्रा घटती हैं |

 

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