ज्वार (Sorghum)
वानस्पतिक नाम: सोरघम बाइक्लर (Sorghum Bicolor)
- ज्वार की प्रोटीन में लाइसीन अमीनो अम्ल की मात्रा2 से 20.4% तक पायी जाती हैं जो पौष्टिकता की दृष्टी से बहुत कम हैं
- ज्वार में ल्यूसीन अमीनो अम्ल की मात्रा अधिक होने के कारन ही ज्वार खाने वाले लोगो में पैलाग्र (Pellangra) नामक बीमारी का प्रकोप होता हैं
- ज्वार के आटे का प्रयोग जिप्सम बोर्ड बनाने में चिपकाने (Adhesive) के कम आता हैं
- ज्वार के पौधों में हइड्रोसायनिक अम्ल (HCN) उत्पन होता हैं
- HCN विष पौधे की छोटी अवस्था में ज्यादा होता हैं| इस अवस्था में पशुओं को ज्वार का चारा नहीं खिलाना चाहिए
- वर्षा या अधिक सिंचाई से पौधों में HCN कि सांद्रता कम हो जाती हैं
- ज्वार में नाइट्रोजन के कारन HCN प्रतिशत बढती हैं, निचे की पतियों की अपेक्षा ऊपरी पतियों में HCN की मात्रा अधिक होती हैं
- डी० कैंडोल (1984) तथा हुकर (1897) के मतानुसार ज्वार का उदभव स्थान अफ्रीका हैं
- वर्थ (1937) के अनुसार ज्वार का उत्पति स्थान अफ्रीका के साथ-साथ भारतवर्ष वर्ष भी हैं
- वेविलोव (1951) मतानुसार ज्वार का उदभव स्थान अफ्रीका के देश हैं
- ज्वार के पौधे में झकड़ा जड़े (Adventitious Roots) पायी जाती हैं पौधे इन्ही के द्वारा मृदा से पोषक तत्व ग्रहण करते हैं
- भारत में क्षेत्रफल की दृष्टी से महाराष्ट्र का प्रथम स्थान ताथ कर्नाटक की द्वितीय स्थान हैं
- दक्षिण भारत में मुख्य रूप से ज्वार की खेती दाने (Grains) के लिए की जाती हैं
- उत्तर प्रदेश में ज्वार की खेती मुख्य रूप से चारे के लिए की जाती है
- ज्वार की 60 दिन की फसल (पुष्पावस्था) साइलेज बनाने के लिए उपयुक्त होती हैं
- ज्वार की मोमी किस्मो (Waxy Varieties) से स्टार्च निकला जाता हैं
- ज्वार का पौधा एक Short Day Plant हैं, परन्तु ज्वार की कुछ किस्मो में दिन के छोटे होने का कोई प्रभाव नहीं पड़ता हैं
- ज्वार के 1000 दाने का औसतन वजन 30-35 ग्राम तक होता हैं
- ज्वार के पुष्पक्रम को Panicle (पुष्पगुच्छ) कहते हैं
- ‘CSH-1’ ज्वार की भारत में विकसित पहली संकर किस्म हैं
- ‘CHS-1’ किस्मS.K. 60 X I.S. विकसित की गई हैं
- ‘CSH-2’ किस्म का विकासS.K. 60 X I.S. 3691 के क्रोस से हुआ हैं
- ज्वार की ‘CHS-3’ किस्मM. 2219 X I.S. 3691 के संक्रमण से निकाली गई है
- ‘CHS-5’ किस्मM. 2077 A X C.S. 3541 के क्रोस से उत्पन्न हुई हैं
- ज्वार का अरगट अथवा शुगरी रोग (Sugary Disease) स्फेसिलिया सोर्घाई (Sphacelia Sorghi) नमक कवक द्वारा फैलता हैं
- ज्वार की देशी किस्म ‘वर्षा’ टा० 22 की अपेक्षा 30% अधिक उपज देती हैं