जनहित याचिका के आलोचना
जनहित याचिका को लेकर विधायिका और न्यायालय के मध्य संघर्ष प्रारंभ हुआ। आलोचकों के अनुसार, यह जनहित याचिका नहीं, अपितु प्रचारहित याचिका है तथा न्यायालय ज्यादा से ज्यादा विषयों में हस्तक्षेप प्रचार पाने के लिए कर रहा है। कुछ लोग जनहित याचिका का प्रयोग राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और विद्वेष के कारण भी करते हैं। अतः आलोचकों ने इसे पैसाहित याचिका भी कहा । मूल प्रश्न उत्पन्न होता है कि भारत जैसे देश में कितने लोगों को पत्रों के माध्यम से न्याय दिलाया जा सकता है, जबकि न्यायपालिका में पहले से ही लंबित मामले पड़े हैं। अतः जनहित याचिका के प्रयोग के साथ-साथ इसके दुरुपयोग को भी रोकने की आवश्यकता है। जनहित याचिका का प्रयोग उपयुक्त और विशिष्ट मामलों में ही होना चाहिए, सभी मामलों में नहीं।