जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951
संसदीय विधि के द्वारा सांसदों के अयोग्यता के अनेक प्रावधान किए गए हैं। संसद द्वारा निर्मित जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत् जन-प्रतिनिधियों को निम्नलिखित तरीके से अयोग्य घोषित किया जा सकता है
कोई सदस्य किसी न्यायालय या चुनाव अधिकरण द्वारा निर्वाचन अनियमितताओं या निर्वाचन में भ्रष्टाचार का दोषी सिद्ध न किया गया हो।
उसे किसी न्यायालय द्वारा दो वर्ष से अधिक की कैद की सजा न दी गई हों ।
उसने कानूनी प्रक्रिया के अनुसार निर्धारित समय के अंदर अपना चुनाव खर्च का विवरण जमा न किया हो।
वह सरकारी सेवा में भ्रष्टाचार व अविश्वसनीयता के कारण पदमुक्त न किया गया हो।
वह किसी सरकारी ठेके, सरकारी कार्यों व सेवाओं के क्रियान्वयन में आर्थिक हित न रखता हो ।
निर्वाचन के लिए नामांकन पत्र भरते समय उम्मीदवार में उपर्युक्त लिखित अयोग्यताएं नहीं होनी चाहिए।
वह किसी ऐसे निगम का निदेशक या व्यवस्थापक या अभिकर्त्ता न हो, जिसमें सरकार की वित्तीय भागीदारी हो या लाभ का पद न धारण किया हो ।
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम के अनुसार अयोग्यता के विवाद का निर्धारण उच्च न्यायालय के द्वारा किया जाता है। यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए भी कि वह योग्य नहीं है और सदन में बैठता है या मतदान करता है, तो वह 500 रुपए प्रतिदिन के अनुसार दण्ड का भागीदार होगा।