गुलाब की खेती का वर्णन कीजिए

गुलाब की खेती का वर्णन कीजिए

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गुलाब की खेती का वर्णन कीजिए

गुलाब की कृषि:- हम गुलाब की कृषि की विवेचना हम निम्न प्रकार से कर सकते हैं

1. स्थान:- गुलाब की क्यारियों की स्थिति पेड़ों की छाया तथा बाड़ से दूर प्रकाशमय स्थान पर होनी चाहिए जिससे कि पौधों को सूर्य का प्रकाश लगभग पूरे दिन मिल सके।

2. क्यारियों की आकृति:- क्यारियाँ आयताकार, वर्गाकार अंडाकार वृत्ताकार या सुन्दर आकृति बना सकते हैं। गुलाब की क्यारियों में लगान अच्छा सुन्दर प्रतीत होता है। जब एक क्यारी में समूह में गुलाब की कई किस्में लगाते हैं तो पौधों की लम्बाई ऊँचाई तथा फूलों के रंग के अनुसार सावधानी पूर्वक लगाते

3. भूमि तथा उसकी तैयारी:- गुलाब के लिए दोमट मिट्टी तथा हल्की दोमट भूमि अच्छी होती है परन्तु यह लगभग सभी प्रकार की भूमियों में उगा सकते है। भूमि में जल निकास की सुविधा होनी चाहिए। क्योंकि जल निकास न होने पर गुलाब विकसित नहीं हो सकता है यदि मृदा भारी है तो उसमें मिट्टी मिला देते हैं पौधे सितम्बर से नवम्बर तक मैदानों में लगाते है।

4. फासल:- झाड़ीदार पौधों को 2ऋx 2ऋ फीट के अन्तर से पंक्तियों में लगाते हैं। आरोही गुलाब 6 से 8 फीट के अन्तर से लगाते हैं। आरोही गुलाब 6 से 8 फीट के अन्तर से लगाते हैं। पौधे लगाने के समय 3 फीट व्यास का तथा 2ऋ फीट गहरा गडढा लगाने के (स्थान पर बनाना चाहिए। पौधों की जड़ों को चारों ओर का चक्का छिद्र के मध्य रखना चाहिए। पौधे लगाने के समय 8 से 10 किग्रा, गोबर का खाद प्रति पौधा डाल देना चाहिए।

5. बाद:- गुलाब को खुराक से अधिक मात्रा में खाद नहीं देनी चाहिए क्योंकि नत्रजन की अधिकता से वनस्पतिक वृद्धि अधिक होती है। अक्टूबर में पौधों का कृतन करने बाद पौधों के चारों ओर की मृदा में गोबर की खाद 8 से 10 किलो ग्राम प्रति पौधे के हिसाब से डालना चाहिए।

सुपर फास्फेट 12 भाग
सोडियम नाइट्रेट 12 भाग
मैगनिशियम सल्फेट 2 भाग
आयरन सल्फेट 1 भाग
कैल्शियम सल्फेट 8 भाग

6. पानी देना:- गुलाब के पौधे की आवेशित अधिक अन्तर में पानी देना चाहिए। शीतकाल में प्रति सप्ताह पानी देना चाहिए ग्रीष्म काल में आवश्यकतानुसार अधिक मात्रा में पानी देना पड़ता है। गुलाब के लिए जल निमग्न अवस्था हानिकारक होती है।

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