गुणसूत्र, जीन और जीनोम के बारे में संक्षिप्त विवरण दीजिये
जीव निर्माण के क्रम में क्रमशः परमाणु, अणु, कोशिका, उत्तक, अंग, अंगों का तंत्र से जीव (मनुष्य) का निर्माण हुआ है। जिसमें कोशिका किसी जीव की संरचनात्मक तथा कार्यात्मक इकाई है। शरीर की कोशिकाओं का नियंत्रण केन्द्रक करता है तथा कोशिका के भीतर ही गुणसूत्र, जीन तथा जीनोम पाये जाते हैं।
गुणसूत्र:- कोशिका के अंदर पाये जाने वाले केन्द्रक में गुणसूत्र उपस्थित होते हैं। गुणसूत्र आनुवंशिक पदार्थ डीएनए तथा हिस्टोन प्रोटीन से बने होते हैं, जो आनुवांशिक लक्षणों को धारण कर एक पीढ़ी से दुसरी पीढ़ी में स्थानान्तरित करने में सहायक होता है।
डी ऑक्सी राइबो न्यूक्लिक अम्ल, डीएनए गुणसूत्रों पर पाए जाते हैं, जिनकी संरचना रस्सी नुमा होती है। इसका आधार पेंटोज शर्करा और फॉस्फेट से बना होता है। ये 4 प्रकार के नाइट्रोजनी क्षारों से मिलकर बनता है, जिन्हें एडीनीन, ग्वानीन, थायमिन, साइटोसीन कहते हैं। एडीनीन हमेशा थायमिन के साथ समूह बनाता है तथा ग्वानीन हमेशा साइटोसीन के साथ समूह बनाता है। डीएनए पर पाया जाने वाला नाइट्रोजनी क्षार समूहों का क्रम जेनेटिक कोड अथवा आनुवांशिक कोड कहलाता है।
जीन:- आनुवांशिक गुणों को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में ले जाने वाली आनुवांशिक इकाइयों को जीन कहते हैं। जीन हमारे गुणसूत्र में पाये जाने वाले नाइट्रोजनी क्षार समूहों के विशेष क्रम को कहते है। मनुष्य के शरीर की प्रत्येक कोशिका में लगभग 20,000 जीन पाए जाते हैं, जो मनुष्य के शरीर की भिन्न-भिन्न अनुवांशिक विशेषताओं का वहन करते हैं, अथवा अन्य विशेषताओं के लिए जिम्मेदार होता है। जैसे- हमारे बालों का रंग, त्वचा का रंग, आनुवांशिक बीमारियां, आँखों का रंग जीनों पर निर्भर करता है।
जीनोम:-किसी भी जीव की एक कोशिका में पाए जाने वाले समस्त जीनों को सामूहिक रूप से जीनोम कहते हैं। जैसे – मनुष्य के शरीर के केन्द्रक में पाए जाने वाला जीन व माइट्रोकॉण्ड्रिया में पाया जाने वाला जीन। (माइटोकॉण्ड्रिया – 37 जीन तथा मनुष्य की कोशिका के केंद्रक के 23 जोड़े गुणसूत्र में लगभग 20,000 जीन पाए जाते है ।
उपर्युक्त तीनों जीवन की प्राथमिक इकाइयां है। मनुष्य के शरीर मे पाये जाने वाले आनुवंशिक क्रम गुणसूत्र 99.99% समान होता है। इसलिए मनुष्यों के बीच में अधिक समानता पायी जाती है, परन्तु 0.01% डीएनए अलग होता है जिससे मनुष्यों में भिन्नताएँ पायी जाती है, जिससे मनुष्यों की अलग- अलग पहचान होती है।