गन्ना (Sugarcane)
वानस्पतिक नाम: सेकेरम आफ़िसिनेरम (Saccharum Officinarum)
- विश्व में क्षेत्रफल तथा उत्पादन की दृष्टी से भारत का द्वितीय स्थान हैं | प्रथम स्थान ब्राजील का हैं |
- गन्ने का रस सफ़ेद शक्कर, खाण्डसारी तथा गुड़ बनाने के काम आता हैं |
- विदेशी मुद्रा कमाने के लिए गन्ना एक मुख्य फसल हैं |
- भारत में चीनी उधोग, देश की कुल चालू पूँजी का 11% तथा स्थिर पूँजी का 8% भाग हैं |
- भारत में प्रतिवर्ष गन्ने से होने वाली आय, कुल राष्ट्रिय आय (National Income) का 23-28% भाग हैं |
- गन्ने की खोई (Bagasse) तथा शीरा (Molasses), गन्ना उधोग के मुख्य सह-उत्पाद (By-Product) हैं |
- गन्ने के कुल उत्पादन का 35-55% शक्कर बनाने के लिए, 42% गुड़ बनाने के लिए, 3.75% खाण्डसारी के लिए तथा 18.7% चूसने व बीज के लिए उपयोग किया जाता हैं |
- शराब बनाने वाले कारखाने गन्ना के शीरा पर निर्भर रहते हैं क्योकि शराब बनाने में प्रयुक्त शीरा गन्ने से ही प्राप्त होता है|
- भारतवर्ष में गन्ने की खेती प्राचीनकाल से ही होती चली आ रही हैं इसलिए गन्ने का जन्म स्थान भारत वर्ष ही बतलाया जाता हैं |
- Sugar शब्द संस्कृत भाषा के शब्द Sakkara या Sarkara से बना हैं |
- बार्बर (1931) का मत था कि पतले गन्ने का उत्पति स्थान संभवतः उत्तरी पूर्वी भारत रहा हैं जहाँ कुछ पौधे कांस (Saccharum Spontaneum) से मिलते जुलते हैं |
- भारत में सम्पूर्ण गन्ना क्षेत्रफल के दृष्टी कोण से उत्तर प्रदेश का प्रथम, महाराष्ट्र का द्वितीय तथा कर्नाटक का तृतीय स्थान हैं |
- मिट्टी चढाने की क्रिया (Earthing) नत्रजन उर्वरक की आखिरी टॉपड्रेसिंग के बाद जून-जुलाई में करनी चाहिए |
- गन्ने की फसल में कई तनों को एक साथ मिलकर, उन्ही तीनों की पत्तियाँ द्वारा बंधाई की क्रिया (Typing or Warpping) कहा जाता हैं|
- बंधाई की क्रिया अगस्त में जब पौधे लगभग 2 मीटर लम्बाई के हो जाए, की जानी चाहिए |
- बंधाई के क्रिया में हरी पतियों के समूह को एक साथ नहीं बांधते हैं अन्यथा प्रकाश संशलेषण की क्रिया के लिए पत्तियों की उपलब्धता कम हो जाती है |
- गन्ने के तानो को धुप, वर्षा व किट पतगों के हानिकारक प्रभाव से बचाने के लिए पौधों के तनों को गन्ने की सुखी पत्तियों से ढक दिया जाता हैं | इस क्रिया को प्रोपिंग (Proping) कहा जाता हैं |
- पड़ी की फसल में प्रति हेक्टेयर उत्पादन व्यय कम आता हैं यह फसल रोपी गई मुख्य फसल की अपेक्षा जल्दी तैयार हो जाती हैं |
- गन्ने की रोपी गई फसल की कटाई के उपरान्त उसी खेत में उसी रोपित फसल की जड़ों से गन्ने के नय पौधे निकलते हैं | इन पौधों के कारन गन्ने की जो फसल प्राप्त होती हैं उसे गन्ने की पड़ी (Ratoon) कहा जाता हैं |
- पड़ी की फसल में, मुख्य फसल की अपेक्षा 20% अधिक नत्रजन की आवश्यकता पड़ती हैं क्योंकि दोनों फसले (मुख्य एवं पड़ी फसल) खेत में 22-24 महीने तक खड़ी रहती हैं, जिस करण मृदा में तत्वों का ह्रास होता हैं | इसके फलस्वरूप पड़ी फसल में जड़े कम निकलती हैं |
- पड़ी फसल में नत्रजन की आधी मात्रा पहली सिचाई के समय तथा शेष आधी मात्रा दूसरी या तीसरी सिंचाई के समय देते हैं |
- पड़ी फसल अक्टूवर में कटाई योग्य हो जाती हैं |
- रेयूनगन्स (Rayungans) विधि में गन्ना की बुआई के 4-6 सप्ताह पहले खड़ी फसल में गन्ने के ऊपरी का अगोला काट दिया जाता हैं जिससे कलिका फ़ुट आती हैं | फिर अंकुरित कलिका को काटकर बुआई के रूप में प्रयोग करते हैं |
- गन्ने की फसल 10-20 महीने में तैयार होती हिं जबकि चुकन्दर की फसल 5-6 महीने में तैयार हो जाती है | इस प्रकार वर्ष में चुकन्दर की 2 फसलें ली जा सकती हैं |
- परीक्षणों से पता चला हैं की शरदकालीन गन्ने की वसन्तकालीन गन्ने की अपेक्षा 15-20% अधिक प्राप्त होती हैं | इसका मुख्य कारन हैं की शरदकालीन गन्ने को बढ़वार के लिए अधिक समय मिलता हैं |
- गन्ने की ऊपरी 1/3 भाग बुआई के लिए उपयुक्त रहता हैं क्योंकि ऊपरी भाग में घुलनशील नत्रजन युक्त पदार्थ, नमी तथा ग्लूकोज अधिक मात्रा में रहता हैं |
- गन्ने के ऊपरी भाग का बीज के रूप में प्रयोग करने से शर्करा उत्पादन में वृद्धि होती हैं |
- फूल आने के बाद गन्ना का प्रयोग बुआई के लिए नहीं करना चाहिए क्योंकि गन्ने में पीथ (Pith) बनने के कारण अंकुरित होने वाली भाग में पोषक तत्वों की कमी होती हैं |
- गन्ने में खनिज लवणों की अधिकता से अंकुरण प्रतिशत कम होता हैं जबकि ग्लूकोज व नमी की मात्रा अधिक होने से अंकुरण प्रतिशत अधिक होता हैं |
- ब्राजील में गन्ना का प्रयोग जुर्जा के रूप में किया जाता हैं | गैसोहोल (Gasohol), जिसका आटोमोबाइल्स में किया जाता है, 80% पेट्रोल + 20% अल्कोहल (गन्ना से) से तैयार किया जाता हैं |
- शरदकालीन गन्ना + आलू की सहफसली खेती में गन्ना की बुआई अक्टूवर के प्रथम सप्ताह में लाइनों में 90 सेंटी मीटर की दुरी पर करनी चाहिय | गन्ना की दो लाइनों के मध्य आलू की एक लाईन पौधे से पौधे की दुरी 15 सेंटी मीटर रख कर बोनी चाहिए |
- शरदकालीन गन्ना के साथ आलू की सहफसली खेती में गन्ना की बुआई के समय 75 किलो ग्राम नत्रजन तथा आलू की बुआई के समय 60 किलोग्राम अतिरिक्त नत्रजन प्रति हेक्टेयर का प्रयोग करते हिं आलू की खुदाई के बाद गन्ने की फसल में 75 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर का और प्रयोग करनी चाहिए |
- शरदकालीन गन्ना + गेहूँ की सहफसली खेती मने गन्ने की दो पंक्तियों (90 सेंटीमीटर की दुरी) के बीच गेहूं की तीन पंक्तियों 20 सेंटीमीटर की दुरी पर नवम्बर के द्वितीय पखवारे में बोते हैं |
- शरदकालीन गन्ना के साथ गेहूँ की खेती में गन्ने में 30 किलोग्राम नत्रजन गेहूँ की बुआई से पहले, 30 किलोग्राम नत्रजन गेहूँ की फसल में (बुआई के 20-22 दिन बाद ) तथा 75 किलोग्राम नत्रजन प्रति हेक्टेयर गन्ना में गेहूँ की कटाई के बाद देना चाहिए |
- शरदकालीन गन्ना + मसूर की सहफसली खेती में गन्ना की दो पंकियाँ के मध्य (90 सेंटीमीटर दुरी ) मसूर की दो लाईने 30 सेंटीमीटर की दूरी पर बोना चाहिए | मसूर की कटाई मार्च के अंत या अप्रेल के प्रारम्भ में हो जाती हैं |
- बसन्तकालीन गन्ना + मूंग की सहफसली खेती में गन्ना की बुआई फरवरी में 90 सेंटीमीटर की दुरी पर करते हैं गन्ने की दो पक्तियों के मध्य मुंग के दो लाइने 30 सेंटी मीटर की दुरी पर बोना चाहिए | मुंग की बीज दर 7-8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखते हैं |मूंग की उपज 5-7 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक प्राप्त हो जाती हैं |
- बसन्तकालीन गन्ना + उर्द की सहफसली खेती में गन्ना की दो पंक्तियाँ (90 सेंटीमीटर दुरी) के मध्य उर्द की 3 लाइनें 20 सेंटी मीटर की दुरी पर बोते हैं | उर्द की उपज 6-7 कुंतल प्रति हेक्टेयर तक पाप्त की जा सकती है |
- गन्ने की सहफसली खेती के लिए उपयुक्त प्रजातियाँ हैं : Co. Pant 84212, Co. Pant 90223, CoS. 767, CoS. 88216-88230, Cos. 802, CoS. 955255, CoS. 8315|
- गन्ना के साथ सहफसली खेती में राई की वरुणा तथा रोहिणी, तोरिया की टा० 9, पी० टी० 30, तथा पी० टी० 303 गेंहूँ की यू०पी 115, यू० पी० 2338, PBW 343, तथा PBW 373, मसूर की नरेन्द्र मसूर-5, पी० एल०406 तथा पी० एल०639 किस्मे उपयुक्त पायी गयी हैं |
- गन्ने में शीर्ष सुषुप्त(Apical Dormancy) पाई जाती है | अत: गन्ने के टुकड़े करके ही बोना चाहिए |
- गन्ने के शीरे में 0.71% नाइट्रोजन, 0.35% फोस्फोरस तथा 2.52% पोटाश पाया जाता हैं |