कृषि के विकास में जीएम फसलों का महत्व

कृषि के विकास में जीएम फसलों का महत्व

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कृषि के विकास में जीएम फसलों का महत्व

जेनेटिक इंजीनियरिंग के जरिए किसी भी जीव या पौधे के जीन को अन्य पौधों में डालकर एक नई फसल प्रजाति विकसित की जाती है। ऐसी फसलों को अनुवांशिक रूप से संशोधित फसलें (Genetically Modified Crops) कहते हैं। जिसे संक्षिप्त रूप में जीएम फसलें भी कहा जाता है।

कृषि के विकास में जीएम फसलों का महत्व:-

कृषि उपज में वृद्धिः- कम लागत और कम श्रम लागत के साथ, उत्पादकता में वृद्धि हुई है और खेती की लागत में कमी आई है। जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है।

खरपतवारनाशियों के प्रति सहनशीलता:- जीएम फसलों को कीड़ों या विषाणुओं के कारण होने वाली पौधों की की या विषणओं के कारण होने वाली पौधों की बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ खरपतवारनाशियों के प्रति सहनशीलता बढ़ाकर बेहतर फसल सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

जलवायु प्रतिरोधी क्षमता में वृद्धि:- जीएम फसलें विभिन्न प्रकार की चरम पर्यावरणीय परिस्थितियों, जैसे ठंड, गर्मी, सूखा आदि के प्रति अधिक प्रतिरोधी होती हैं।

खाद्य सुरक्षा में मददगार:- खाद्य सुरक्षा के मुद्दों को हल करने में जीएम फसलें हमारी मदद कर सकती हैं। पिछले 15 वर्षों में, जैव प्रौद्योगिकी ने दुनिया भर के किसानों को 311.8 मिलियन टन अधिक भोजन का उत्पादन करने में सहायता की है।

आनुवंशिक रूप से संशोधित खाद्य फसल कम लागत के साथ-साथ गरीबी समाप्त करने, भूख और कुपोषण को रोकने और नवीन क्षमताओं को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित हो सकते हैं।

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