कांट की आकारिक नैतिकता
नैतिकता के सार का परिणामों से कोई संबंध नहीं है इसका संबंध उचित इरादे से है क्योंकि परिणाम बहुत सारे कार्यों से नियंत्रित एवं निर्धारित होते हैं, जिसमें कुछ कारक स्वैच्छिक होते हैं कुछ अनैच्छिक। अतः परिणामों में स्वैच्छिक तथा अनैच्छिक दोनों तत्व शामिल होते हैं, जबकि नैतिकता केवल उसी बात का मूल्यांकन कर सकती है जो स्वैच्छिक है। परिणामनिरपेक्षतावाद नैतिकता देश, काल, परिस्थिति, परिणाम को नैतिकता के संदर्भ में खारिज करती है। चूंकि नैतिकता देश, काल, परिस्थिति से नहीं बदलती इसीलिए इसके मूल्य भी नहीं बदलते हैं।
कांट की नैतिकता को आकारिक मानने के पीछे का तर्क:-
यह नियमों पर आधारित है परिणामों पर नहीं। अर्थात परिणाम भयावह होने की स्थिति में भी कांट नियम के पालन हेतु ही निर्देशित करेगा। जैसे किसी ऐसे व्यक्ति को उसका बंदूक वापस करना जो बहुत गुस्से में हो, बंदूक वापस करने वाला व्यक्ति जानता है कि इसका परिणाम बुरा होगा, परंतु कांट की नैतिकता मानने वाले व्यक्ति को अंततः बंदूक देना ही होगा।
इसमें यथार्थ दशाओं या व्यवहार का ध्यान नहीं रखा जाता है। अर्थात कांट की नैतिकता में व्यवहार की अपेक्षा आदर्श पर बल दिया जाता है। इसमें केवल प्रक्रियाओं का पालन होता है। परिस्थिति एवं तत्कालिक दशा कैसी भी हो परंतु व्यक्ति को प्रक्रियाओं का ही पालन करना पड़ता है। इसमें एक दशा में लागू होने वाले नियम सभी इसी प्रकार की दशाओं पर लागू होंगे। इसमें तथ्यों का महत्व नहीं है। यह शुद्ध बौद्धिक नैतिकता पर आधारित है। इस प्रकार यह कहा जा सकता कि कांट की नैतिकता परिणाम निरपेक्षतावादी नैतिकता है, जिसमे व्यवहार की अपेक्षा आदर्शमुलक दृष्टिकोण पर बल दिया जाता है एवं परिस्थिति की अपेक्षा नियम और प्रक्रिया को तरजीह दी जाती है।