कल्याणकारी राज्य क्या हैं ?
निदेशक तत्व के अनुच्छेद-38 में यह स्पष्ट उल्लिखित है कि राज्य कल्याणकारी होगा, जिसके द्वारा व्यक्तियों और समूहों के बीच आय एवं अवसर की समानता स्थापित की जाएगी तथा सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय स्थापित किया जाएगा। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद-39 में यह उल्लिखित है कि अर्थव्यवस्था का संचालन इस प्रकार होगा, जिसके समुदाय या समाज को लाभ प्राप्त हो तथा आर्थिक शक्तियों का केंद्रीयकरण कुछ हाथों में नहीं होने दिया जाएगा। उपरोक्त आदर्शों को पूर्ण करने के लिए स्वतंत्रता के बाद जमींदारी उन्मूलन भूमि सुधार के कार्यक्रम लागू किए गए तथा सार्वजनिक उद्यमों की प्राथमिकता की आर्थिक प्रणाली अपनाई गई, जिससे यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि संविधान निर्माताओं का झुकाव समाजवादी आर्थिक प्रणाली की ओर था। यह उल्लेखनीय है कि वर्ष-1991 में भारत में आर्थिक नीति में आमूलकारी निर्णायक परिवर्तन करते हुए उदारीकरण की नीति अपनाई गई। परिणामस्वरूप शिक्षा एवं स्वास्थ्य जैसे सामाजिक क्षेत्रों का भी निजीकरण हो गया ।
यह उल्लेखनीय है कि वर्ष-1991 में आर्थिक विकास की साधनों / रणनीति को परिवर्तित किया गया, जिससे देश के आर्थिक संसाधनों में वृद्धि हो सके और सामाजिक न्याय के कार्यक्रमों को प्रभावी रूप में लागू किया जा सके। इसलिए उदारीकरण की नीति और सामाजिक न्याय का विरोध करने के बजाए, एक-दूसरे के पूरक के रूप में देखने की आवश्यकता है, क्योंकि उदारीकरण से अर्थव्यवस्था को कुशल एवं प्रतिस्पर्धी बनाए जाने का प्रयत्न किया जा रहा है, जिससे प्राप्त संसाधनों का वितरण वंचित वर्गों के हितों के लिए किया जा सके। इसलिए वर्तमान सरकार के द्वारा सामाजिक उत्थान की अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिससे आय एवं अवसर की विषमता न्यूनतम हो सके।