कर्म और पुनर्जन्म का सिद्धांत का समकालीन संदर्भ
तार्किक एवं वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के साथ कर्म और पुनर्जन्म के सिद्धांत की वर्तमान में प्रासंगिकता कम हुई है फिर भी यह समाज में अचेतन रूप में कमोबेश आज भी स्पष्ट है कर्म व पुनर्जन्म का सिद्धांत व्यक्ति के स्वधर्म पालन करने, सामाजिक नियंत्रण बनाए रखने एवं सामाजिक संगठन को स्थिरता प्रदान करने के लिए प्रमुख नैतिक आधार प्रदान करता है।
आज धार्मिक क्रियाकलापों के कई पक्ष मजबूत हो रहे हैं जिसमें कहीं न कहीं यह अभिप्रेरक के रूप में जरूर विद्यमान है। विशिष्ट भारतीय संस्कृति और व्यक्तित्व के निर्माण में आज भी यह सिद्धांत महत्त्वपूर्ण बना हुआ है और नगरों की तुलना में विशेषत: ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी इसकी महत्ता बनी हुई है।