November 15, 2024
ऋण तथा यज्ञ का समकालीन संदर्भ

ऋण तथा यज्ञ का समकालीन संदर्भ

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ऋण तथा यज्ञ का समकालीन संदर्भ

आधुनिक भारतीय समाज में व्यावहारिक रूप से इनका महत्त्व कम हुआ है, परन्तु अचेतन रूप से आज भी यह सदस्यों के क्रियाओं के निदेशक के रूप में क्रियाशील हैं । गया में पितरों का तर्पण, श्राद्ध कर्म, अस्थियों का गंगा में प्रवहन, पुत्र प्राप्ति की असीम चाह की विद्यमानता आदि के रूप में इनके प्रभाव को आज भी देखा जा सकता है। विशिष्ट संस्कृति और विशिष्ट व्यक्तित्व के निर्माण में आज भी इस सिद्धांत का महत्त्व बना हुआ है, परन्तु शहरों की अपेक्षा गाँवों में आज यह अधिक महत्त्वपूर्ण है।

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