उदारीकरण के युग में पंचायती राज
वर्ष-1990 के बाद भारत में आर्थिक सुधार कार्यक्रम अपनाए गए व आर्थिक सुधार को प्रभावी बनाने के लिए शासन को बेहतर और उत्तरदाई बनाने पर भी बल दिया गया। इसी संदर्भ में ‘सुशासन’ शब्द का प्रयोग अत्यधिक प्रभावी रुप में होने लगा, जिसका प्रयोग पहली बार ‘विश्व बैंक’ द्वारा किया गया। जब इसके द्वारा अफ्रीकी महाद्वीप के देशों को आर्थिक सहायता दी गई, तो उन्हें सुशासन अपनाने की सलाह भी दी गई। सुशासन का अभिप्राय है, ‘उत्तरदायित्व, पारदर्शिता एवं त्वरित व सहभागी शासन ।’ विश्व बैंक ने अपने एक दस्तावेज ‘गवर्नेन्स एंड डेवलपमेंट’ में सुशासन को परिभाषित करते हुए कहा कि ‘यह एक ऐसी प्रविधि है, जिसमें देश की आर्थिक एवं सामाजिक प्रबंध के लिए शक्ति का प्रयोग करना है।’ यह बिंदु उल्लेखनीय है कि सुशासन के अंतर्गत् उदारीकरण एवं निजीकरण को भी बढ़ावा दिया गया एवं तीसरी दुनिया के देशों में विकास कार्यों में लोगों की सहभागिता आवश्यक है, क्योंकि विकास तभी प्रभावी होगा, जब ऊपर से न थोपा जाए, बल्कि इसमें लोगों की वास्तविक सहभागिता हो । इस संदर्भ में पंचायती राज का सुशासन के युग में अत्यधिक महत्व है तथा सुशासन की संकल्पना में विकेंद्रीकरण अंतर्निहित है, जिसका पर्याय पंचायती राज है, क्योंकि पंचायती राज के द्वारा अब ग्राम सभाएं विकास की नीतियों, विकास के कार्यक्रमों एवं लाभार्थियों की पहचान करती हैं। बजट पर चर्चा और विकास कार्यक्रम के (प्रयोग पर ) क्रियान्वयन पर भी ग्राम सभा में चर्चा होती है। इसलिए पंचायती राज द्वारा उत्तरदाई शासन को अत्यधिक प्रभावी बनाया गया। क्योंकि पंचायती राज द्वारा नागरिक केंद्रित शासन का निर्माण किया गया है।
समकालीन उदारीकरण एवं निजीकरण के युग में अर्थव्यवस्था या आर्थिक शक्तियों के केंद्रीयकरण की प्रवृत्ति देखी जाती है। इस संदर्भ में पंचायती राज अत्यधिक प्रासंगिक है, जहां विकास का विकेंद्रीकरण होता है और पंचायतों को ज्यादा शक्तियां प्रदान करने से छोटे राज्यों की मांग को समाप्त किया जा सकता है। उदारीकरण का प्रथम दौर मुख्यतः शहरों पर केंद्रित था। लेकिन ग्रामीण विकास अभी भी सरकारी प्रयासों पर निर्भर हैं। अतः उदारीकरण के इस दौर में स्थानीय क्षेत्रों के विकास के लिए पंचायतों की भूमिका महत्वपूर्ण हैं। क्योंकि सरकार जो भी विकास कार्यक्रम बनाएगी उसका क्रियान्वयन पंचायतों के द्वारा ही किया जाता है और स्थानीय स्तर पर पंचायतों द्वारा आधारभूत संरचना का निर्माण कर उदारीकरण के लाभों को प्राप्त किया जा सकता है।