उच्चतम न्यायालय में दाण्डिक मामलों में अपील
दाण्डिक मामलों में उच्चतम न्यायालय की कोई आरंभिक अधिकारिता नहीं होती है। दाण्डिक मामलों में अपील हेतु कुछ मामलों में प्रमाण-पत्र की आवश्यकता होती है। प्रमाण-पत्र के साथ तभी अपील की जा सकती है, जब अपील के लिए उच्च न्यायालय यह प्रमाण पत्र प्रदान करे कि वाद उच्चतम न्यायालय में अपील के योग्य है, (अनुच्छेद-134(क)।
कुछ मामले बिना प्रमाण-पत्र के ही अपीलीय होते हैं। दाण्डिक मामलों के अपील हेतु कुछ दशाओं में प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होती है। उच्चतम न्यायालय में साधिकार अपील हो सकती है। दूसरे शब्दों में, इसमें उच्च न्यायालय के प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं होगी। ऐसी अपील मृत्युदण्ड के मामले में तब होती है, जब:-
जनपद न्यायाधीश ने किसी व्यक्ति को निर्दोष कहा हो और उच्च न्यायालय द्वारा उसे मृत्युदण्ड की सजा दी गई हो।
यदि उच्च न्यायालय ने किसी निचले न्यायालय से मामले को मंगाकर व्यक्ति को मृत्युदण्ड दिया हो।
ऐसे मामले, जिनमें आजीवन कारावास या 10 वर्ष से अधिक की कैद की सजा दी गई हो, तो इन मामलों में भी उच्चतम न्यायालय में अपील की जाती है।