November 15, 2024
उच्चतम न्यायलय में न्यायाधीशों की नियुक्ति

उच्चतम न्यायलय में न्यायाधीशों की नियुक्ति

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उच्चतम न्यायलय में न्यायाधीशों की नियुक्ति

संविधान उल्लिखित है कि राष्ट्रपति द्वारा उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए वह मंत्रियों के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों से परामर्श कर सकेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति में वह उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों से परामर्श लेगा, जिसे वह आवश्यक समझे, (अनुच्छेद-124(2) तथा अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए राष्ट्रपति द्वारा मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करना अनिवार्य है तथा राष्ट्रपति परामर्श मानने के लिए बाध्य है या नहीं यह विवाद का विषय रहा है। संविधान लागू होने के बाद 80 के दशक तक यही माना गया कि राष्ट्रपति के पास न्यायाधीशों के परामर्श मानने या न मानने का विवेकाधिकार है। वर्ष-1982 में एस. पी. गुप्ता के प्रसिद्ध मामले में उच्चतम न्यायालय ने भी यह कहा कि परामर्श मानना राष्ट्रपति के लिए बाध्यकारी नहीं है, लेकिन वर्ष-1993 और वर्ष-1998 के जजेज वाद में स्थिति बदल गई । वर्ष-1993 में एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड के वाद में उच्चतम न्यायालय ने कोलेजियम व्यवस्था का प्रतिपादन किया। जिसके अनुसार उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के दो अन्य न्यायाधीश कोलेजियम में शामिल होंगे और जिनके सलाह पर राष्ट्रपति न्यायाधीशों की नियुक्ति करेंगे। परंतु कोलेजियम में यह स्पष्ट नहीं था कि मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीशों की भूमिका क्या होगी? इसी के स्पष्टीकरण के लिए राष्ट्रपति के द्वारा उच्चतम न्यायालय से परामर्श लिया गया और वर्ष-1998 में उच्चतम न्यायालय ने कोलेजियम व्यवस्था को स्पष्ट करते हुए कहा कि कोलेजियम भारत के मुख्य न्यायाधीश और चार अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा, जो राष्ट्रपति को न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए लिखित सलाह देंगे। यदि कोलेजियम के दो न्यायाधीश किसी न्यायाधीश के निर्णय के विरुद्ध हैं, तो राष्ट्रपति के समक्ष नियुक्ति की सलाह नहीं दी जाएगी। कोलेजियम के निर्णय में उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का निर्णय सदैव शामिल होना चाहिए। दोनों मामलों में उच्चतम न्यायालय ने निर्धारित किया कि अनुच्छेद- 124 के तहत न्यायपालिका द्वारा दिया जाने वाला परामर्श राष्ट्रपति मानने के लिए बाध्य है। वर्ष-1998 में उच्चतम न्यायालय ने सलाहकारी अधिकारिता के अंतर्गत् दिए गए निर्णय में यह कहा कि परामर्श केवल मुख्य न्यायाधीश के द्वारा नहीं दिया जाएगा।

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