आर्थिक असमानता क्या है? भारत में असमानता के कारण
आर्थिक असमानता समाज में विभिन्न समूहों के बीच आय और अवसर के असमान वितरण को संदर्भित करता है।
बजटीय गिरावट: बुनियादी क्षेत्रों के लिए बजट आवंटन में गिरावट की इस स्थिति में आम लोग बुनियादी सेवाओं और अधिकारों से भी वंचित हुए हैं, जो असमानता में वृद्धि का कारक है।
वेतन और भत्तों में असमानता: वृद्धों, विकलांगों और विधवाओं के लिये सामाजिक सुरक्षा पेंशन लगभग 15 वर्षों से 200-300 रुपए प्रति माह पर ही रुकी हुई है, जबकि इसके विपरीत नीति निर्माताओं के वेतन और पेंशन में वृद्धि की गई है।
सब्सिडीयुक्त खाद्यान्न की अनुपलब्धता: राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत परिवारों की प्राथमिकता सूची को वर्ष 2011 की जनगणना से निर्धारित प्रतिशत के आधार पर एक नियत संख्या में रखा गया है। पिछले 12 वर्षों में लगभग 10 करोड़ पात्र लाभार्थियों की जनसंख्या वृद्धि को लाभ के दायरे से बाहर रखा गया है।
शिक्षा तक असमान पहुँच: महामारी ने बच्चों की एक ऐसी पीढ़ी भी पैदा कर दी है जो औपचारिक शिक्षा को भूल चुके हैं। गरीब परिवारों के कई किशोर पहले ही शिक्षा छोड़ कार्यबल में शामिल होने को विवश हुए हैं। इस अवधि में शिक्षा बजट में 6% की कटौती की गई है। जो समानता लाने में प्रमुख बाधक सिद्ध हो रही हैं।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम जैसे कार्यक्रमों को आवश्यक आवंटन की मात्रा प्राप्त करनी चाहिये । जनसंख्या के बीच स्वास्थ्य और शिक्षा के महत्त्व को और अधिक व्यापक रूप से प्रसारित किया जाए। रोजगार परक विनिर्माण क्षेत्र के उद्योग का विकास करना चाहिए।