अशोक मेहता समिति की मूल अनुशंसाएं
जनता पार्टी सरकार ने दिसंबर, 1977 में पंचायती राज के प्रभावी रूप से क्रियान्वयन के लिए अशोक मेहता समिति का गठन किया गया, जिसने वर्ष 1978 में ही अपनी रिपोर्ट सौंप दी, जिसकी मूल अनुशंसाएं निम्नलिखित हैं।
पंचायती राज द्विस्तरीय होगा, जिसमें जिला परिषद् एवं मण्डल पंचायत नामक दो स्तर होंगे ।
15 से 20 हजार आबादी के लिए एक मण्डल पंचायत का गठन होगा।
समिति ने जिला स्तर को सर्वाधिक महत्व देते हुए इसे जनपद स्तर पर योजनाओं के निर्माण के लिए उत्तरदाई व कार्यकारी निकाय के रुप में माना।
पंचायतों के चुनाव में सभी स्तरों पर राजनीतिक दलों की भागीदारी को औपचारिक मंजूरी दे दी जानी चाहिए । समिति ने पंचायती राज संस्थाओं को करारोपण की शक्तियां एवं अपने संसाधन को बढ़ाने की शक्ति देने की भी अनुशंसा की।
राज्य सरकारों के द्वारा पंचायती राज संस्थाओं के कार्यों में हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।
पंचायतों विघटन के बाद चुनाव छः (6) महीने की अवधि में ही हो जाने चाहिए।
पंचायतों में अनुसूचित जाति एवं जनजातियों को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आरक्षित करने की सिफारिश की गई।
इस समिति ने पंचायती राज वित्त निगम की स्थापना का भी सुझाव दिया।
समिति के अनुसार, राज्य सरकार के मंत्रिपरिषद् में एक पंचायती राज मंत्री की भी नियुक्ति होनी चाहिए। भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सलाह से राज्य मुख्य निर्वाचन आयुक्त को पंचायतों के चुनाव आयोजित करवाने चाहिए।
विकास पंचायत से अलग एक न्याय पंचायत की भी स्थापना होनी चाहिए, जिसका अध्यक्ष एक न्यायाधीश हो ।